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________________ बनाये हुए है । उनकी विद्वत्ताका प्रतिबिम्ब उसमें स्पष्टतया पालोकित हो रहा है। इसके सिवाय उन्होंने और भी कोई रचना की या नहीं इसका कुछ भी पता नहीं चलता है। पर मैं एक मम्भावना पहिले कर पाया है कि इस ग्रन्यका इस प्रकारसे उल्लेख किया है कि जिसमें लगता है कि प्रन्याकार अपनी ही दूसरी रचना की उनका इजित कर रहे हैं। यदि सपमुझमें यह ग्रन्थ ग्रन्थकारकी रचना है तो मालूम होता है कि वह न्यायदीपिकासे भी अधिक विशिष्ट एवं महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ होगा। अन्य पकवा इस महत्त्वपूर्ण ग्रन्थका अवश्य ही पता चलना चाहिए। ___ग्रन्थकारफे प्रभाव और कार्यक्षेत्रसे यह भी प्रायः मालूम हाना है कि उन्होंग कर्णाटकदेशके उपर्युक्स विजयनगरको हो अपनी जन्म-भूमि बनायी होगी और वहीं उनका शरीर त्याग एवं ममाघि हुई होगी। क्योंकि व गुरु परम्पराम चले आ विजयनगक भट्टारकी गार ग्रागीन हुा थे । यदि मह ठीक है तो कहना होगा कि उनके जन्म प्रार ममाचिका स्यान भी विजयनगर है। उपसंहार भम प्रकार ग्रन्धकार अभिनय धर्मभूषण पार उनकी प्रग्नुत प्रार कृनिक मम्बन्धम एतिहासिक दृष्टिले दा शब्द लिखनका प्रथम साहस किया । इतिहाम एक ऐमा विषय है जिमम निन्ननको आवश्यकता हममा बनी रहती है और इसीलिये सच्चा ऐतिहामिक प्रपन कथन एव विचारको अन्तिम नहीं मानता । इसलिए मम्भव है कि धर्मभूपागजीक तिहासिक जीवनपरिचयमें अभी परिपूर्णता न आ पाई हो । फिर भी उपलब्ध साधनोंपररी जो निष्कर्ष निकाले जा सके हैं उन्हे विद्वानों के समक्ष विशेप विचारके लिये प्रस्तुत किया है । इत्यलम् । चैत्र कृष्ण १० वि० २००२ । दरबारीलाल जैन, कोठिया ता. ३-४-४५, देहली ।
SR No.090311
Book TitleNyayadipika
Original Sutra AuthorDharmbhushan Yati
AuthorDarbarilal Kothiya
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year
Total Pages372
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size5 MB
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