SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 570
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ शुद्धि-पत्र [ ५२७ पृष्ठ पंक्ति रामणवरणोण लोक के निसरी के परिगामो परिणाम समावागतो राग लोकस्पो शिखरी के परिमाणो परिमारा हुये सिद्धारण पोदशभिः द्रव्याण्यव पश्चा संठाणज्य [ सिद्धाणप्प ] पोडमाभिः ट्रव्याण्येव पश्चा ८ यतो गयतो । भवंगुण भवमुग मुखस्या भावान्न सुवस्याभावान प्रास्वन पाश्वत तिदंमा तिदसणं चतुष्टय माबरण चतुष्टयमावरण करके कार्य समयसार रूप गुटोपयोग करके कार्य को प्राप्त करके कार्य मल, चल अन्यकार ग्रन्यकार ने में गात्र से रहिन पात्र मसतानम् मसतामिदम् पर घर पर पर दधिन दोधात MMM nx १७७ १८. १८१ चिरपे माग १८४ चिद्रूपेसम्पग प्ररिहता पतीन तिवासे प्रगुक्त अरिहंता पतीन्न दुद्धिवाले ११७ प्रामुक्त
SR No.090308
Book TitleNiyamsar
Original Sutra AuthorKundkundacharya
AuthorGyanmati Mataji
PublisherDigambar Jain Trilok Shodh Sansthan
Publication Year1985
Total Pages573
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy