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________________ ज्ञानस्वभावः स्यादात्मा ज्ञानाद्विनोन नाभिश्रः सज्ज विहारा विपरिणमदि गाणं अत्यंतगयं गं प्रविवदिरित रिद्धन दुगुखो रिद्धिः वा लुक्ला वा गोम्मम्महाये नदेयं परमं ज्ञानं गाणं तेजो दर्शनं निश्चयः पुि सरण पुरुदं गाणं यानुसारि चर नमस्यं च तदेकं नहि विदधति निषिद्ध सर्वस्मिन् निष्क्रियं करणातीतं किन पसरणं परियटुणं च वायर ग्रन्थ का नाम श्रात्मानुशासन स्वरूप संबोधन प्रवचनसार प्रवचनसार " प्रवचनसार r " लोकसूची त पद्मनं० पंच वि० प्रवचनसार " 여 "P ण एकस्य सप्तति द्रव्य संग्रह प्रवचनसार टीका समयसार मुलाणार द पद्मनन्दी पंच समयसार कलश न प्रत्यवर्ता का नाम गुणभद्र कलंक कुनकुन्द्र कुरंदकुन्द्र 4. कुरंदकुरप " कुन्दकुन्द गद्यनन्दी नेमिचंद्र अमृतचन्द्र " " 27 प्रा० पदो प्रमृतचद्र # कुन्दकुन्द्र नन्दी [ ५२३ पृष्ठ संख्या ४१९ YY? ४५० ४६६ ४३५ ४६० ५६ ५६ १६७ २६८ २१ १५० ४३६ २०७ २६८ १११ २६४ २२१ २४१ v
SR No.090308
Book TitleNiyamsar
Original Sutra AuthorKundkundacharya
AuthorGyanmati Mataji
PublisherDigambar Jain Trilok Shodh Sansthan
Publication Year1985
Total Pages573
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size13 MB
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