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________________ ५२२ नियमसार ग्रन्थ का नाम ग्रन्थकर्ता का नाम पत्र संख्या उभयनय विरोध समयसार कलश मभृतचन्द्र यशस्तिलक २७२ एकस्वभाविशसि एयरसवण्णगन्धं एवं त्यवत्वा वहि वाचं पंचास्तिकाय सोमदेवरि कुन्दकुन्द पूज्यपाद ममाधिशतक मागेत्रका १३ अमृत चन्द्र २१ कालाभावेन भावानां कान्त्य व स्मपन्ति कुसूल गभ. केवलज्ञान दक्सौड्य सममसार कन्न। मार्गप्रकाश एकत्वसप्तति पमानन्दी २५७ गिरिगहेनगुहा अमृताशीति ३४६ मात्मानुशासन चकविहायनिज. चिच्छक्तिच्याप्त समयसार कलश गुणभद्र अमृतपन्द्र गुगभद्र चित्तस्थमध्यन मात्मानुशासन २२ ४. मार्यप्रकाश भुतविन्दु प्रवचनसार - जघन्यमध्यमोत्कृष्ट जयतिविजितदोषो बस्म अणेसण मप्पा जं पेच्छदी अमुक्त जानत्रयेप विश्व ज्वरजनन जरा ४५२ अमृतमन्द्र ४४. समयसार कसा अमृतानीति ४८३
SR No.090308
Book TitleNiyamsar
Original Sutra AuthorKundkundacharya
AuthorGyanmati Mataji
PublisherDigambar Jain Trilok Shodh Sansthan
Publication Year1985
Total Pages573
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size13 MB
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