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________________ जीव अधिकार [ ६५ पुद्गल द्रव्य विकल्पोपन्यासोऽथम् । पुछ्गलद्रव्यं तावत् विकल्पहृयसनाथम, स्वभावपुद्गलो विभावपुद् गलश्चेति । तत्र स्वभावपुद्गलः परमाणुः विभावपुद्गलः स्कषः । कार्यपरमाणुः कारणपरमाणुरिति स्वभावपुद्गलो द्विधा भवति । स्कन्धाः षट्काराः स्युः, पृथ्वीजलच्छायाचतुरक्षविषयकमं प्रायोग्याप्रायोग्यभेदाः । तेषां भेदो वक्ष्यमाणसूत्रेषुच्यते विस्तरेणेति । ( अनुष्टुभ् ) गलनादरित्युक्तः पूरणास्कन्धनामभाक् । विनानेन पदार्येण लोकयात्रा न वर्तते ॥ ३७॥ 77 टोका - यह पुद्गलद्रव्य के भेदों का कथन है । सर्व प्रथम पुद्गल द्रव्य दो भेद से सहित है, स्वभाव पुदगल और विभाव पुद्गल । उसमें परमाणु स्वभाव पुद्गल और स्कंध विभाव पुद्गल कहलाता है । स्वभाव पुद्गल के भी दो भेद हैं- कार्य परमाणु और कारण परमाणु । स्कंध छह प्रकार के हैं - पृथ्वी, जल, छाया, चार इन्द्रियों के विषय, कर्म के योग्य स्कंध और कर्म के अयोग्य स्कंध ऐसे छह भेद हैं। इन स्कंधों के भेद श्रागे कहे जाने वाले सूत्रों में विस्तार से कहते हैं । [ टीकाकार श्री मुनिराज इस पुद्गल के कार्य को बतलाते हुये श्लोक कहते हैं - ] ( ३७ ) श्लोकार्थ - स्कंधों के से परमाणु या स्कंधों के मिलने से | स्कध लोक यात्रा नहीं हो सकती है । गलन-भेद से अणु कहलाता है और पूरण नाम पाता है । इस पुद्गल पदार्थ के बिना भावार्थ -- इस पुद्गल पदार्थ के बिना यदि आप संसार यात्रा करना चाहें तो नहीं कर सकते हैं । यह मुद्गल द्रव्य आपको संसार की यात्रा कराने के लिये मोटर, रेल आदि वाहन के समान है इसी में बैठकर अर्थात् इसी का सम्बन्ध करके प्राप पंच परिवर्तन रूप लोकयात्रा कर रहे हैं। कहा भी है- "अजंगमं जंगमनेययंत्र
SR No.090308
Book TitleNiyamsar
Original Sutra AuthorKundkundacharya
AuthorGyanmati Mataji
PublisherDigambar Jain Trilok Shodh Sansthan
Publication Year1985
Total Pages573
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size13 MB
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