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________________ शुद्धिपत्र अशुद्ध पृष्ठ पंक्ति २६ २२३ २२३ २२४ २३२ टीका में परित्रं नय में शुक्लध्यानबलेन निर्ममत्व अमुमति वेषां समानस्थान १९८४ में टीका के चारित्रं नय से शुक्लष्यानदलेन निर्मम अनुमति चैषां समास स्थान सिद्धि भावो W90 .. २३४ २३५ २३८ A भावा" करणि करण २४० भत्तं । भत्ते २४९ " ११ देव अणायार मात्तण तत्त्वबस्य स्थावाद चन्द्रिका-- प्रतिकमण देव ने अणायारे मोतूपण तस्वस्य x (नहीं चाहिय) प्रतिक्रमण २५० " मा २५४ प्रवृत्तिः , मप्यात्मात्मान माण लोहासल्लाए उज्यते परनिःशल्य स्वादमाना विबसे पंचगुण संकल्परूप प्टये २५५ प्रवृत्तिः मप्यास्मान माण लोहसल्लाए उच्यते परमनिःशल्य स्वदमाना दिषसे पंचमगुण संकल्प ष्टमे ष्ठानस्या पशितम् । ८GKhurAKKAmmam २५८ २६० २१८ २७१ । दर्शितम् २७४
SR No.090307
Book TitleNiyamsara Prabhrut
Original Sutra AuthorKundkundacharya
AuthorGyanmati Mataji
PublisherDigambar Jain Trilok Shodh Sansthan
Publication Year1985
Total Pages609
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size14 MB
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