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________________ ५७२ नियमसार-प्राभूत अशुद्ध म मुँचदि मुदि छत्रादीति छात्रादीनि आत्मा बहकर सापानी क्षुल्लिकाओं समित्याचारको मर्यादित पृथावरोरी मुक्ति जासंयतभाव आत्मबहकरा सावधानी क्षुल्लिकाओं, श्रावक और भाविकाओं, समित्या पारको मर्यादितपुथगशरीरी १८६ १८६ १८७ १९१ १९१ १९२ प्रमाण निरुष है रक्षित गोपित रक्षित स्थानारन्य निश्चयमोक्षस्य समावणणि सुनो, चासंयतभावी जिन लोक प्रमाण मिरोध है-रक्षित गोपित-रक्षित स्थापनाख्यं निश्चयमोसमार्गस्य सभावणाणि मैंने सुना है, जलं . . २०४ २०५ जल WA २०८ सेनापर्य सरागारिने सरागचारित्र सराग चारित्र जाहते कर्मफल सेनाचार्य सकलचारित्र सरागचारित्रं सकलचारित्र कहते कर्ममल होति २१६ देवत्व है सम्यग्दृष्टीनाम् देवस्ख कहा है कथमयं पक्षपातः सम्यग्दृष्टीनाम्
SR No.090307
Book TitleNiyamsara Prabhrut
Original Sutra AuthorKundkundacharya
AuthorGyanmati Mataji
PublisherDigambar Jain Trilok Shodh Sansthan
Publication Year1985
Total Pages609
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size14 MB
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