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________________ १३० नियमसारप्राभृतम् क्षायोपशमिकस्याष्टादशः-तत्र ज्ञानं चतुर्विधं मतिश्रुतावधिमनःपर्ययभेवेन । अज्ञानं त्रिविधं मत्यज्ञानं ताज्ञान विभंग चेति । दर्शनं त्रिविधं चक्षुरचक्षुरवधिदर्शनभेवेन। लब्धयः पञ्च क्षायोपशामिक्थः दाललाभभोगोपभोगवीर्यभेदेन । क्षायोपशमिकसम्यक्त्वं, सरागचारित्रं संयमासंयमश्चेति । संज्ञित्वसम्यग्मिथ्यात्वयोगा अपि अत्रैव अंतर्भवन्ति । ___औवयिकस्य कविंशतिभेदेषु-गतयश्चतस्त्रः नरसियङ्मनुष्यदेवभेदात् । कोषमानमायालोभाः कषायाश्चतुर्धा। नोकषायवेदनीयस्य वेदोदयेन आविर्भूता भाषवेवा लिगं तस्त्रिविधं स्त्रीनपुंसकभेदात् । कषायोदयानुरञ्जिता योगप्रवृत्तिलेश्या षड्विधाः कृष्णनीलकपोतपीतपशुफ्लभावेन । मिथ्यात्वोदयात् अतत्त्वश्रद्धानपरिगामो मिथ्यावर्शनम् । ज्ञानाचरणोक्यावज्ञानम् । चारित्रमोहोदयादनिवृत्तिपरिणामो:संयत्तत्वम् । कर्मोदयसामान्यापेक्षातः असिद्धत्वं च । अस्मिन् औदयिकभाषे मिथ्या क्षायोपशमिक के अट्ठारह भेद हैं-उसमें मति, श्रुत, अबधि और मन:पर्यय के भेद से ज्ञान चार प्रकार का है । मति अज्ञान, श्रुत अज्ञान और विभंगज्ञान की अपेक्षा अज्ञान के तीन भेद हैं। दर्शन के तीन भेद हैं--चक्षुदर्शन, अचक्षुदर्शन और अवधिदर्शन। . लब्धियाँ पांच हैं. क्षायोपशमिक दान, क्षायोपशमिक लाभ, क्षायोपशमिक भोग, क्षायोपशमिक उपभोग और क्षायोपशामिक वीर्य । वायोपशमिक सम्यक्त्व, सरागचारित्र और संयमासंयम ये सब मिलकर अठारह भेद हैं। संज्ञित्व, सम्यग्मिथ्यात्व और योग भी इसी में गर्भित हो जाते हैं। __ औदयिक के इक्कीस भेद हैं उनमें गति चार हैं-नरकगति, तियंचगति, मनुष्यगति और देवगति । क्रोध, मान, माया और लोभ ऐसी कषायें चार हैं। नोकषाय वेदनीय के उदय से उत्पन्न हुये भाववेदों को लिंग कहा है । उसके तीन भेद हैं-स्त्रीवेद, पुरुषवेद और नपुंसकवेद । कषायोदय से अनुरंजित योग की प्रवृत्ति लेश्या है । उसके छह भेद हैं-कृष्ण, नील, कापोत, पीत, पद्म और शुक्ल । मिथ्यात्व के उदय से अतत्त्व श्रद्धानरूप परिणाम का नाम मिथ्यादर्शन है, ज्ञानावरण के उदय से जो होता है वह अज्ञान है, चारित्रमोह के उदय से अत्याग परिणाम का रहना असंयतत्व है, सभी कमों के उदय सामान्य को अपेक्षा से असद्धित्वरूप औद
SR No.090307
Book TitleNiyamsara Prabhrut
Original Sutra AuthorKundkundacharya
AuthorGyanmati Mataji
PublisherDigambar Jain Trilok Shodh Sansthan
Publication Year1985
Total Pages609
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size14 MB
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