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________________ भारत में राजनीतिशास्त्र के अध्ययन की परम्परा अनुक्रम राज्य सोमदेवसूरि और उन का नीतिवाक्यामृत मधिगम्यभूत का शाल १४ गीतिया महत्त्व २४, त्रिवर्ग प्राप्ति का अमोघ साधन राज्य २५, दण्डनोति का महत्त्व : २८, राज्यांगों का विशद विवेचन : ३०, राजशास्त्र सम्बन्धी अन्य बातों का विवेचन : ३२, बाचार सम्बन्धी नियमों का विश्लेषण : ३२. वर्णाश्रम व्यवस्था : ३२, कौटुम्बिक जीवन की झलक ३४, नारी चरित्र का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण ३४ वैश्याओं की प्रकृति तथा चन से साबधान रहने के निर्देश: ३४ स्वास्थ्य सम्बन्धी नियमों का उल्लेख : ३५, ऐतिहासिक एवं पौराणिक ३५. जीवनोपयोगी सूफियों का सागर : ३६, सोमदेवसूरि की बहुकता ३७ । तथ्यों का समावेश : राजा प्राचीन राजवास्त्र प्रणेता और सोमदेवसूरि ३ अर्थशास्त्र: ५, अर्थशास्त्र का रचनाकाल : ७ नीतिसार ८, नीतिवाक्यामृत : १० । राज्य के तस्व ४३, राज्य को प्रकृति ४१, ४४, राज्य के अंग : ४५, राज्य के कार्य : ४९, " ५० 1 १३-४० १-१२ ४१-५२ राज्य की उत्पत्ति : राज्य का उद्देश्य : ५३-८६ राजा की उत्पत्ति—१. वैदिक सिखान्त: ५६, २. सामाजिक अनुबन्ध का सिद्धान्त: ५७, सामाजिक अनुबन्ध के सिद्धान्त का द्वितीय स्वरूप : ५८, ३. देवी उत्पति का सिद्धान्त ६१, राजा की योग्यता: ६६, राजा की योग्यता के विषय में अन्य माचायों के विश्वार: ६७,
SR No.090306
Book TitleNitivakyamrut me Rajniti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorM L Sharma
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages255
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size5 MB
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