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________________ ५५. नित्य धन के व्यय से सुमेरु भी क्षीण हो जाता है (८, ५) । ५६. अविवेक से बढ़कर प्राणियों का अन्य शत्रु नहीं ( १०, ४५ ) । ५७. वह विद्या विद्वानों के लिए कामधेनु के समान है जिस से सम्पूर्ण जगत् की स्थिति का ज्ञान होता है ( १७, ५९ ) । ५८. धातुओं का सम रहना विष को भी पथ्य बना देता है (२५, ५१ ) ५९. आत्म रक्षा में कमी भी प्रमाद न करे (२५, ७२) । ६०. आशा किस पुरुष को क्लेश में नहीं डालती (२६, ६१) । इस प्रकार के अनेक उपयोगी सूत्रों से नीतिवाक्यामृत का प्रत्येक समुद्देश परिपूर्ण है । उस के ये उपयोगी सूत्र मानव जीवन को सफल एवं समुन्नत बनाने के लिए बहुत उपयोगी हैं । मीतिवाक्यामृत में केवल राजनीति का ही वर्णन नहीं मिलता, अपितु, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, धर्मशास्त्र, मनोविज्ञान एवं दर्शनशास्त्र का भी उपयोगी वर्णन इस में उपलब्ध होता है। एक ही प्रन्थ में विविध शास्त्रों के उपयोगी अंशों की व्याख्या आचार्य सोमदेव की महान् विद्वत्ता एवं व्यावहारिक राजनीतिज्ञता की द्योतक है। आज के युग में राष्ट्रीय चरित्र के उत्थान में भी इस ग्रन्थ से बड़ी सहायता मिल सकती है । संसार में वैज्ञानिक प्रगति के नाम पर भौतिक जड़वाद की प्रधानता है । मतः अर्थलोलुप भोगप्रधान समाज की रचना इस वैज्ञानिक युग का को इस भौतिक जड़वाद से मुक्ति दिलाने के लिए बाध्यात्मिक दृष्टिकोण को विकसित करना आज के युग की प्रमुख आवश्यकता है । सोमदेव का नीतिवाक्यामृत वर्तमान युग की इस आवश्यकता की पूर्ति के लिए अपूर्व ग्रन्थ है। व्यक्ति और समाज में आध्यात्मिक दृष्टिकोण का उन्मेष कर के ही देश में स्थायी शान्ति स्थापित को जा सकती है । हमारे राष्ट्र के प्रयत्न हमारी मौतिक समृद्धि के लिए उत्तरोत्तर वृद्धि पर रहें, किन्तु हमारा आध्यात्मिक लक्ष्य विलुप्त नहीं होना चाहिए। आध्यामिकता ही भारतीय संस्कृति का प्राण है। समाज के आध्यात्मिक पक्ष को ग्रहण कर लोक साधना प्रतिपादक ग्रन्थ अमर साहित्य में समादृत होते हैं । नीतिवाक्यामृत भी राजनीति के क्षेत्र में आध्यात्मिक लक्ष्य की जागृति के कारण भारतीय राजनीति प्रधान साहित्य की अमर कृति है । ་༠ नीतिवाक्यामृत में राजनीति
SR No.090306
Book TitleNitivakyamrut me Rajniti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorM L Sharma
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages255
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size5 MB
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