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पृष्ठ संख्या 166
173 से 197
विषय
33. गजा का कर्तव्य निर्देश 34. मनुष्य निध किससे समझा जाता है 35. शत्रुओं का पराजय न करने वाले की आलोचना 36. धर्म - प्रतिष्ठा का निरूपण 37. दुष्ट निग्रह न करने से हानि 38. राज्यपद का परिणाम 39. नीतिकार कहते हैं 40. स्त्रियों में विश्वास करने से हानि
41. विद्वान विष्णु शर्मा लिखते हैं 7. प्रयी समुद्देश
1. यी विद्या का स्वरूप 2. यो विद्या से होने वाला लाभ 3. त्रयी विद्या से लाभ 4. ब्राह्मण, क्षत्रिय और वेश्यों के समान कर्त्तव्य 5. द्विजातियों का निर्देश 6. ब्राह्मणों के कर्तव्य का विवरण 7. क्षत्रियों के कर्तव्य 8. वैश्यों का धर्म निर्देश 9. शूद्रों के कर्तव्य 10. चारों वर्गों के समान धर्मों का वर्णन 11. साधारण धर्म व विशेष धर्म निर्देष 12. साधुओं का कर्तव्य 13. कर्तव्यच्युत होने पर साधु का कर्तव्य 14. अभिष्ट-देव को प्रतिष्ठा का निर्देष 15. बिना भक्ति के उपासना किये हुए देव से हानि 16. वर्ण व आश्रम वालों के कर्तव्यच्युत होने पर उसकी शुद्धि 17. राजा-प्रजा को त्रिवर्ग-धर्म, अर्थ काम मोक्ष की प्राप्ति 18. कर्तव्यच्युत राजा की कटु आलोचना 19. अपने-अपने धर्म का उल्लंघन करने वालों के साथ राजा का कर्तव्य 20. प्रजापालक राजा को धर्म लाभ 21. अन्यमती तपस्वियों द्वारा राजा का सम्मान 22. इष्ट व अनिष्ट वस्तु का निर्णय 23. मनुष्यों के कर्तव्यों का वर्णन