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पृष्ठ संख्या 144 से 172
विषय 6. आन्वीक्षिकी समुद्देशः
1. आध्यात्म्ययोग - आत्मध्याय का लक्षण निर्देश 2. आत्मज्ञानी राजा का लाभ
आत्मा के क्रीडा योग्य स्थानों का विवेचन
मामा काम 5. शरीरादि से आत्मा भिन्न है 6. मन का स्वरूप 7. इन्द्रियों का लक्षण 8. इन्द्रियों के विषयों का निरुपण 9. ज्ञान के स्वरूप 10. सुख का लक्षण 11. दुःख का लक्षण 12. सुख प्राप्ति के उपाय 13. अभ्यास का लक्षण 14. अभिमान का लक्षण 15. सम्प्रत्यय का लक्षण 16. विषय के स्वरूप का निर्णय 17. दु:ख के लक्षण का निर्देश 8. Jख का लक्षण 19. चार प्रकार के दुःखों का निरुपण 20. दोनों लोकों में दुःखी रहने वाले व्यक्ति का स्वरूप 21. कुलीन का महात्म्य और कुत्सित पुरुष की निन्दा 22. अभिलामा इच्छा का लक्षण निर्देश 23. दोषों को शुद्धि का उपाय 24. उत्माह का लक्षण 25. प्रयत्न का स्वरूप 26. संस्कार - ज्ञानविशेष का लक्षण 27. शरीर का स्वरूप 28. नास्तिक दर्शन का स्वरूप 29. नास्तिक दर्शन के ज्ञान से होने वाला राजा को लाभ 30. मनुष्यों के कर्तव्य सर्वथा निर्दोष नहीं होते 31. एकान्ततः दयापलन से हानि 32. सदा शान्त रहने वाले की हानि