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नीति वाक्यामृतम्।
___ अर्थात् परनिन्दक व चुगलखोर की सज्जनता विषभक्षण समान हानिकारक बतलाई है ।। अभिप्राय यह है परनिन्दा व चुगली सर्वथा त्याज्य है ।।18 ||
वह लक्ष्मी ही क्या है जिसके द्वारा सत्पुरुषों को सन्तोष न हो ? कुछ भी प्रयोजन नहीं है । अपनी विद्यमान सम्पत्ति से सन्तुष्ट नहीं होने वाले शिष्ट पुरुषों की सम्पत्ति निंद्य हैं । क्यों तृष्णावश वे दुःखी ही रहते हैं । अतः सन्तोष धारण कारण चाहिए ।।19 ॥ निंद्य उपकार, नियुक्ति अयोग्य, दान दी गई वस्तु, सत्पुरुषों का कर्त्तव्य :
तत्किं कृत्यं यत्रोक्तिरुपकृतस्य ।।20॥ तयोः को नाम निर्वाहो यो द्वावपि प्रभूत मानिनौ पंडितौ लुब्धौ मूखौँ चासहनौ वा ।।21॥ स्ववान्त इव स्वदत्ते नाभिलाषं कुर्यात् ।।22॥ उपकृत्य मूकभावोऽभिजातीनाम् ।।2311
अन्वयार्थ :- (तत्) वह (किम्) क्या (कृत्यम्) कर्तव्य हैं (यत्र) जहाँ (उपकृतस्य) उपकर्ता के समक्ष (उक्तिः) कहा जाय? (तयोः) दो का (को नाम) क्या (निर्वाहः) एक साथ रहना (यौ) जो दों (द्वौ) दोनों (अपि) मी (प्रामानित) उमामही, (पण्डिौ ) विद्वान (लुब्धौ) लोभी (मूखौं) मूर्ख (च) और (असहनौ) असहनशील (वा) अथवा ।।21 ।। (स्व) स्वयं (वान्तम्) वान्ति (इव) समान (स्वदत्ते) स्वयं प्रदत्त में (अभिलाषम्) लेने की इच्छा (न) नहीं (कुर्यात्) करे 122 ।। (उपकृत्य) उपकार करके (अभिजातीनाम्) कुलीनों का (मूकभाव:) मौन उत्तम है ।23 ॥
विशेषार्थ :- किसी भी व्यक्ति का उपकार करके उसी के समक्ष कहना उचित नहीं । कारण कि उपकृत्य इसमें अपनी मानहानि समझ कर उसका प्रत्युपकार के स्थान में शत्रुता का कारण हो सकता है । वैर-विरोध होना संभव है।। भागुरि ने कहा है:
योन्यस्य कुरुते कृत्यं प्रतिकृत्यतिवाञ्छया ।।
न तत्र कृत्यं भवेत्तस्य पश्चात् फलप्रदायकम् ॥ अर्थात् उपकारी यदि अपना किया उपकार स्वयं प्रकट करता है तो वह उसे फलदायक नहीं होता । अर्थात् प्रत्युपकार नहीं मिलता ||20
___जो विद्वान होकर भी अभिमानी व कृपण अथवा मूर्ख होकर लालची है, घमण्डी, असहिष्णु व पारस्परिक कलह कराने में चतुर पुरुषों को बुद्धिमान-विवेकी पुरुष किसी भी कार्य में नियुक्त न करे । कारण इससे कार्य सिद्धि नहीं होगी। क्योकि दोनों का निर्वाह नहीं हो सकता । मुर्ख के साथ मूर्ख, लोभी-लोभी आदि एक साथ रह नहीं सकते ।।21 ॥ हारीत का भी यही अभिप्राय है :
समर्थों मानसंयुक्तौ पण्डितौ लोभ संश्रयौ । मिथोपदेशपरौ मूखी कृत्ये मिथो न योजयेत् ।।1।।
अर्थ वही है।