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नीति वाक्यामृतम्
N समाचार मंगावे । तीनों का एक समान वचन हो तो विश्वास कर लेना चाहिए । ॥ भागुरि विद्वान ने कहा है -
असंके तेन चाराणां यदा वाक्यं प्रतिष्ठितम् ।
त्रयाणामपि तत्सत्यं विज्ञेयं पृथिवीभुजा ॥ अर्थ :- जब गुप्तचरों के वाक्य निश्चित (विश्वासयोग्य) न हों तो तीन गुप्तचरों से कही गई एक समान बात होने प्रमाणित कर लेना चाहिए ।। यही बात :
परस्परमजानन्तः महा: दुर्ग साहितम् । त्रयाणामेक वाक्ये तु सत्यं बुध्येत भूपतिः ।।१॥
कुरल प.छे.59 ।। अर्थ :- परस्पर अज्ञात ऐसे गुप्तचरों में तीनों की बात एक समान मिले तो उसे प्रमाण स्वीकार करे और उनको समीहित-इच्छापूर्ति के कार्य में ही लगावे । एक समान कार्य की रिपोर्ट समान होने पर सत्य मानना चाहिए ||
अन्वयार्थ :- (अनवसर्पः) गुप्तचर रहित (राजा) भूपाल (हि) निश्चय से (स्वैः परैश्च) अपने और दूसरे शत्रुओं द्वारा (अतिसन्धीयते) आक्रमण किया जायेगा । आक्रमण किया जाता है ।।
विशेषार्थ :- जो भूप गुसचर नहीं रखता वह निश्चय ही स्वराजकीय शत्रुभाव प्राप्तों द्वारा व अन्यदेशीय शत्रुओं द्वारा आक्रमण योग्य होता है । अर्थात् कोई भी कभी भी आक्रमण कर परास्त कर देगा । अतः विजिगीषु राजाओं को अवश्य ही गुप्तचर बहाल करना चाहिए । चारायण विद्वान ने भी कहा है :
वैद्यसंवत्सराचार्यैश्चारै ज्ञेयं निजं वलम् ।
वामाहिरण्डिकोन्मत्तैः परेषामपि भूभुजाम् ॥1॥ अर्थ :- राजाओं को वैद्य, ज्योतिषी, विद्वान, स्त्री, संपेरा शराबी आदि नानाविध गुप्तचरों द्वारा अपनी व शत्रुओं की सैन्यशक्ति आदि का पता लगाने का निरन्तर प्रयत्न करना चाहिए ।। अतः राजाओं को गुप्तचर अवश्य रखना चाहिए 16॥
___अन्वयार्थ :- (किम्) क्या (अयामिकस्य) पहरेदार के बिना (निशि) रात्रि में (कुशलम्) क्षेम (अस्ति) है ? नहीं।
विशेषार्थ :- यदि कोई धनेश्वर पहरेदार न रखे तो क्या रात्रि में वह निर्भय व सुरक्षित रह सकेगा ? नहीं रह सकता। इसी प्रकार जो राजा गुप्तचर नियुक्त न करे तो वह भी उसी के समान शत्रुओं द्वारा आक्रमण किये जाने पर परास्त कर दिया जायेगा । जिस प्रकार रात्रि में कोतवाल बिना चोरादि धनिक के माल को चुरा सकते हैं उसी प्रकार गुप्तचरों के बिना शत्रु राजा लूट-पाट-चढ़ाई कर राज्य को नष्ट कर देंगे । अतः राजा को राज्य की सुरक्षार्थ गुप्तचर अवश्य रखना चाहिए । ॥ वर्ग विद्वान ने भी कहा है :
यथाप्राहरिकैर्वाह्यं रात्रौ क्षेमं न जायते ।
चारै विना न भूपस्य तथाज्ञेयं विचक्षण ॥1॥ अर्थ :- जिस प्रकार प्रहरी के बिना रात्रि में वाह्य चोरों से लोगों का रक्षण कल्याण नहीं हो सकता, धनाढ्य
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