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________________ पृष्ठ संख्या 464 464 AGA 465 465 465 466 166 466 467 468 468 469 विषय 6. इन्द्रियों को शक्तिहीन करने वाला कार्य 7. स्वच्छ वायु सेवन का फल 8. सदैव सेवन योग्य वस्तु 9. बैठक के विषय में 10. शोक से हानि 11. शरीर गृह की शोभा 12. अविश्वसनीय पुरुष 13, भगवान का स्वरूप व उसकी नाम माला 14. कर्तव्य पालन, असमय का कार्य, कर्त्तव्य में विलम्ब से हानि 15. आत्मरक्षा, राज कर्तव्य, राज-सभा में प्रवेश के अयोग्य विनय के लक्षण 16. स्वयं देखरेख करने योग्य कार्य, कुसंगति त्याग हिंसामूल काम क्रीडा त्याग 17. परस्त्री के साथ भगनी, मातृ भाव, पूज्यों के प्रति कर्तव्य, शत्रु स्थान प्रवेश निषेध 18. रथादि सवारी, स्थान निषेध, अगन्तव्य स्थान, उपासना अयोग्य पदार्थ, कण्ठस्थ न करने योग्य विद्या, राजकीय प्रस्थान 19. भोजन व वस्त्र परीक्षा विधि, कर्त्तव्यकाल, भोजन आदि का समय, प्रिय व्यक्ति का विशेष गा भविष्य कार्य सिद्धि के परीक 20. गमन व प्रस्थान के विषय में इश्वरोपासना का समय व राजा का मंत्र जाप्य 21. भोजन का समय, शक्तिहीन योग्य आहार, त्याज्य स्त्री यथा प्रकृति वाले दम्पत्ति 22. प्रसन्नचित्त, वशीकरण, मल-मूत्रादि रोकने से हानि, विषय भोग के अयोग्य काल व क्षेत्र, परस्त्री त्याग 23. मैतिक वेषभूषा व विचार-आचरण, आयात-निर्यात्, अविश्वास से हानि 26 सदाचार-समुद्देशः 1. अत्यधिक लोभ, आलस्य व विश्वास से हानि, बलिष्ठ शत्रु-कृत आक्रमण से बचाव, परदेश के दोष, पाप प्रवृत्ति के कारण हानि 2. व्याधि पीडित व्यक्ति का कार्य, धर्मात्मा का महत्त्य, बीमार की औषधि व भाग्यशाली पुरुष मूर्खता, भयकाल में कर्तव्य, धनुर्धारीक तपस्वी का कर्तव्य, कृतघ्नता से हानि, हितकारक वचन, दुर्जन व सज्जन के बचन, लक्ष्मी से विमुख व वंशवृद्धि में असमर्थ 4. उत्तम दान, उत्साह से लाभ, सेवक के पाप कर्म का फल, दुःख का कारण 5. कुसंग का त्याग, क्षणिकचित्त वाले का प्रेम, उतावले का पराक्रम व शत्रु निग्रह का उपाय 6. रूदन व शोक से हानि, निंध पुरुष, स्वर्गच्युत का प्रतीक जीवित पुरुष 7. पृथ्वीतल का भार रूप, सुख प्राप्ति का उपाय (परोपकार) शरणागत के प्रति कर्तव्य व स्वार्थ-युक्त परोपकार का दुष्परिणाम 470 470 471 472 473 475 से 489 475 475 3. भूख 477 479 480 482 484
SR No.090305
Book TitleNiti Vakyamrutam
Original Sutra AuthorSomdevsuri
AuthorNathulal Jain, Mahendrakumar Shastri
PublisherDigambar Jain Vijaya Granth Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages645
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
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