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विषय 8. गुणगान शून्य नरेश, कुटुम्ब संरक्षण, सड्डी समान पर रक्षण का दुष्परिणाम
अनुरक्त सेवक के प्रति स्वामी का कर्तव्य, त्याज्य सेवक, उचित दण्ड १. वक्ता के वचन, वय, वेष-भूषा, त्याग, कार्यारम्भ, सुख, अधम पुरुष 10. मर्यादा पालन, दुराचार से हानि, सदाचार से लाभ, संदिग्ध, उत्तम भोज्य रसायन,
पापीयों की वृत्ति, पराधीन भोजन, निवास योग्य देश 11. जन्मान्ध, ब्राह्मण, निस्पृह, दुःख का कारण, उच्चपद प्राप्ति और सच्चा आभरण 27 व्यवहार समुद्देशः
1. मनुष्यों का दृढ़ बन्धन, अनिवार्य-पालन-पोषण तीर्थ सेवा का फल 2. तीर्थ स्थानों में रहने वाले का स्वभाव, निंद्य स्वामी, सेवक, मित्र, स्त्री व देश 3. मिंध बन्धु, मित्र, गृहस्थ, दान, आहार, प्रेम, आचरण, पुत्र, ज्ञान, सौजन्य व लक्ष्मी 4. इक तरफा प्रेम मुखों की चेष्टा मात्र 5. निंध उपकार, नियुक्ति अयोग्य, दान दी गई वस्तु सत्पुरुषों का कर्तव्य
सत्कार, धर्मरक्षा व दोष शुद्धि का साधन धनार्जन के लिए कष्ट की सार्थरता, नीच पुरुषों का स्वरूप, वन्ध चारित्र,
पीडा जनक कार्य व पातकी पञ्च 8. प्रयोजनवश नीच संगति, स्वाथीं, गृह दासीरत, वेश्या से हानि,
दुराचारी की चित्तवृत्ति 9. एक स्त्री से लाभ, परस्त्री व वेश्या त्याग, सुख के कारण गृह प्रवेश 10. लोभ व याचना से हानि, दारिद्र दोष, धनादय की प्रशंसा 11. पवित्र वस्तु, उत्सव, पर्व, तिथि व यात्रा का माहात्म्य 12. पाण्डित्य, चातुर्य व लोक व्यवहार 13. सज्जनता व धीरता की महिमा, सौभाग्य, सभा दोष, हृदयहीन का अनुराग व्यर्थ 14. निंद्य स्वामी, लेख का स्वरूप व उसका अप्रामाण्य, तत्काल फलदायी पाप
15. बलिष्ठ के साथ विरोध से हानि, बलवान के साथ उद्दण्डता से क्षति, प्रवास व सुख 28 विवाद-समुद्देश: 1. राजा का स्वरूप, उसकी समदृष्टि, विधान परिषद के अधिकारी अयोग्य सभासद,
उनसे हानि, न्यायाधीश की पक्ष-पात दृष्टि 2. विवाद में पराजित का लक्षण, अधम सभासद, वाद-विवाद में प्रमण 3. प्रमाणों की निरर्थकता व वेश्या और जुआरी की बात भी प्रमाण्य कब ?
विवाद की निष्फलता, धरोहर-विवाद-निर्णय, गवाही की सार्थकता 5. शपथ के योग्य अपराधी, उसके निर्णय पर दण्डविधान
शपथ के अयोग्य अपराधी व उनकी शुद्धि का उपाय, लेख व पत्र के संदिग्ध होने पर फैसला, न्यायाधीश के बिना निर्णय की निरर्थकता, ग्राम व नगर सम्बन्धी मुकदमा, राजकीय निर्णय एंव उसको न मानने वाले को कडी सजा
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