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________________ पृष्ठ संख्या 422 से 425 422 423 424 424 426 से 453 426 427 429 432 435 437 439 विषय 23. मित्र - समुद्देश: 1. मित्र के लक्षण व भेद 2. मित्र के गुण-दोष, मित्रता, नाशक कार्य व निष्कपट मैत्री 3. दुर्गणी मित्र 4. मैत्री की आदर्श परीक्षा, प्रत्युपकार की दुर्लभता 24. राज रक्षा समुद्देशः 1. राजा की रक्षा, उपाय अपनी रक्षार्थ रखने योग्यायोग्य पुरूष 2. स्वामी रहित अमात्य की हानि, आयु शून्य पुरुष, राजकर्त्तव्य व स्त्री सुखार्थ प्रवृत्ति व धन संग्रह निष्फल स्त्रियों की प्रकृत्ति का स्वरूप 4. स्त्रियों के प्रतिकूल होने के कारण, उनकी प्रकृति, दूतीपन व रक्षा का उद्देश्य 5. स्वेच्छाचारिणी स्त्रियों के अनर्थ, उनका इतिहास व माहात्म्य स्त्रियों की समिति स्वाधीनता, आसक्त पुरुष, उनकी आधीनता से हानि, पतिव्रता का माहात्म्य व उनके प्रति पुरुष का कर्तव्य वर्णन 7. वैश्या गमन के दुष्परिणाम 8. प्रकृति निर्देश 9, प्रकृति, कृतघ्नों का पोषण, विकृत्ति के कारण, शारीरिक सौन्दर्य व कुटुम्बियों का संरक्षण 10. आज्ञापालन, विरोधियों का वशीकरण, कृतज्ञ के साथ कृतघ्नता का दुष्फल, अकुलीन 11. उत्तमपुत्र की उत्पत्ति का उपाय 12. निरोगी व दीर्घजीवी संतान का कारण, राज्य व दीक्षा के अयोग्य पुरुष, अंगहीनों का राज्याधिकार की सीमा, विनय का प्रभाव, अभिमानी राजकुमारों की हानि 13. पुत्र कर्तव्य 14. पुत्र के प्रति पिता का कर्तव्य 15. युवराजों के सुख का कारण, दूषित राजलक्ष्मी, निष्प्रयोजन कार्य से हानि 25. दिवसानुष्ठान - समुद्देशः 1. नित्य कर्त्तव्य, सुखी निद्रा से लाभ, सूर्योदय व सूर्यास्तकाल में सोने से हानि 2. वीर्य व मल मूत्रादि रोकने से हानि, शौच और गृह प्रवेश विधि व व्यायाम 3. निद्रा का लक्षण उससे लाभ, समर्थन, आयु रक्षक कार्य, स्नान का उद्देश्य व लाभ, सान की निरर्थकता, स्नान विधि व निषिद्ध स्नान 4. आहार सम्बधी-स्वास्थ्योपयोगी सिद्धान्त 5. सुख प्राप्ति का उपाय 440 442 443 445 447 448 450 451 454 से 474 454 455 458 459 463
SR No.090305
Book TitleNiti Vakyamrutam
Original Sutra AuthorSomdevsuri
AuthorNathulal Jain, Mahendrakumar Shastri
PublisherDigambar Jain Vijaya Granth Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages645
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
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