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नीति माक्पामृतम् । नीतिकार महात्मा भर्तृहरि जी ने कहा है :
साहित्य संगीत कला विहीना, साक्षात्पशुः पुच्छविषाणहीनः ।।
तृणं न खादनपि जीवमानस्तद्धगधेयं परमं पशूनाम् ॥1॥ अर्थ :- जिसे साहित्य, संगीत आदि कलाओं का ज्ञान यदि नहीं है तो मनुष्य निरा पशु है । मात्र उसे सींग पूंछ नहीं है । यहाँ कोई शंका करे कि यदि मानव पशु है तो फिर वह घास-दाना क्यों नहीं खाता ? इसका सरल उत्तर यह है कि बिना पास साये मी पदि जीवित है तो इसमें उसका पुण्य है जो पशुओं में उत्तम हो गया है ।
अभिप्राय यह है कि प्रत्येक मानष को कर्तव्यबोध और श्रेय की प्राप्ति के लिए नीतिशास्त्र और धर्मशास्त्रों को अध्ययन करना चाहिए । यही आत्मोत्थान का एकमात्र उपाय है । राज्य की क्षति करने वाले राजा का लक्षण कहते हैं:
___ वरमराजकं भुवनं न तु मूखों राजा 1138॥ अन्वयार्थ :- (भुवन) पृथ्वी पर (अराजकम्) राजा का न होना (वर) श्रेयस्कर है (तु) परन्तु (मूर्ख:) मूर्ख (राजा) नृपति (न) नहीं हो ।
मूढ राजा की अपेक्षा राजा शून्य रहना अच्छा है।
विशेषार्थ :- संसार में जिस प्रकार कुपुत्र पुत्र की अपेक्षा पुत्र विहीन होना श्रेष्ठ है, कुविधा से अनपढ़ रहना, असती भार्या से अविवाहित रहना जिस प्रकार अच्छा है उसी प्रकार मढ-मुर्ख राजा से तो पृथ्वीपति रहित राज्य ही उत्तम है । विषमक्षण की अपेक्षा क्षुधित रहना ही श्रेयस्कर है । जिस देश में मूर्ख राजा होता है वह राज्य ही नष्ट हो जाता है । गुरु विद्वान ने कहा है :
अराजकानि राष्ट्राणि रक्षन्तीह परस्परम् ।
मूर्यो राजा भवेयेषां तानि गच्छन्तीह संक्षयम् ।।1॥ अर्थ :- संसार में जिन देशों में राजा नहीं होते वे परस्पर एक दूसरे की रक्षा कर लेते हैं परन्तु अनीतिज्ञमूर्ख राजा का राज्य अवश्यमेव नष्ट हो जाता है । अयोग्य युवराज के लक्षण कहते है :
असंस्कार रत्नमिव सुजातमपि राजपुत्रं न नायकपदायाममन्ति साधवः । ।३१॥
अन्वयार्थ :- (सुजातम्) श्रेष्ठ कुलोत्पन्न (अपि) भी (राजपुत्र) युवराज को (साधवः) सज्जन पुरुष (असंस्कारम्) संस्कार रहित (रत्नम्) रत्न के (इव) समान (नायकपदाय) राजा के पद के योग्य (म) नही (आमनति) समझते हैं ।
उत्तम वंशोत्पन्न होकर भी न्यायशास्त्र से पराङ्मुख युवराज को राज्यशासन के अयोग्य कहते हैं जिस प्रकार शाण पर नहीं चढे रत्न को सज्जन पुरुष आदरणीय-ग्राम नहीं मानते हैं । , विशेषार्थ :- उत्तम सागर व मधुर झौलादि अथवा खान में उत्पन्न हीरा व रत्न; मुक्ता आदि भी संस्कारित
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