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नीति वाक्यामृतम्
N है, न इधर झुके न उधर वह बुद्धिमान मन और इन्द्रियों को अपने काबू में रख सकता है । न्यायी की सम्पत्ति अचल रहती है -
न्यायनिष्ठ की सम्पदा, कभी न होती क्षीण । वंश-क्रम से दूर तक, चली जाय अक्षीण ।।2।।
कुरल. अर्थ :- न्याय-नीति से संतुलित जीवन यापन करने वाले की सम्पदा कभी भी नष्ट नहीं होती । संतति के साथ-साथ चलती रहती है । संयम जीवन की ढाल है । प्रत्येक क्षेत्र में धैर्य और संयम रखना इन्द्रिय जय है
मत लो वह धन भूल से, जिसमें नीति-द्वेष ।
हानि बिना उससे भले, होवे लाभ अशेष ॥3॥ अति सम्मान त्यागकर जो सुख सौभाग्यवर्द्धक सम्पत्ति मिले उसको कभी भी हाथ मत लगाओ । भले ही उससे लाभ ही लाभ क्यों न हो । अभिप्राय है कि सीमा में रहने से प्राप्त पदार्थ असीम हो जाते हैं । सीमा उलंघन करने पर प्रभूत वैभव भी कम प्रतीत होता है । सरोवर के तट सही हैं तो जल-लबालब भरकर उमड़ता है कम वर्षा होने पर भी, और तट भंग होने पर बहुत वर्षा होने पर भी जल इधर-उधर बिखर जायेगा और सरोवर खाली-खाली रह जायेगा । यही दशा है असंयमी के धन की । नीतिकार वर्ग का कथन भी विचारणीय है -
नीतिशास्त्राण्यधीते यस्तस्य दुष्टानि स्वान्यपि ।
वशगानि शनैर्यान्ति कशाघातै हया यथा ।।1।। अर्थ :- जिस प्रकार लगाम के आकर्षण से अश्व वश कर लिए जाते हैं, उसी प्रकार नीति शास्त्रों के अध्ययन से मनुष्य की चञ्चल इन्द्रियाँ वश हो जाती हैं । अतः इन्द्रियों को वश करना आर्थिक दृष्टि पर भी निर्भर है ।
कितना ही चञ्चल व दुष्ट घोटक क्यों न हो, यदि लगाम कसकर पकड ली है तो बेराह नहीं जा सकता, उसी प्रकार विषय वन में बेहताश दौड़ती इन्द्रियाँ भी संयम लगाम के आधीन हुयीं यत्र-तत्र नहीं जा सकती । अत अर्थ-व्यय संयत रहने से इन्द्रिय संयम भी बराबर रहेगा । नीतिशास्त्र का परिज्ञान इन्द्रिय जय कैसे?
॥कारणे कार्योपचारात् ।।10।। अन्वयार्थ :- (कारणे) हेतू में (कार्यस्य) कार्य का (उपचारात्) उपचार-आरोप होने से ।
विशेषार्थ :- मुख्यता के अभाव में प्रयोजन वश अथवा निमित्त विशेष से गौण वस्तु में मुख्य की कल्पना करना उपचार कहलाता है । कारण में कार्य का उपचार करने से नीतिशास्त्र का अध्ययन करने को "इन्द्रिय जय" कहा गया है । यद्यपि इन्द्रियों को संयत करना-इष्ट विषयों में बेमर्याद नहीं जाने देना 'इन्द्रियजय' है । किन्तु नीति का परिज्ञान नहीं होने से उन्हें संयत करना दुर्लभ है अत: कारण रूप नीति-विज्ञान को "इन्द्रियजय" कहा गया
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