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________________ क नीतिवाक्यामृत के ......... ......... .. ... उदाहरणार्थ:-जिस प्रकार महात्मा विदुरने धृतराष्ट्रको उसके दोषोंके नाश करने के लिये-अन्यायपूर्ण राज्य तृष्णाका त्याग करने के लिये-समझाया था' ॥१॥ इति विद्यावृद्धसमुहश समाप्त , महात्मा विदुरने धृतराष्ट्रको अनेक बार उसे हितकारक उपदेश दिया था कि है राजन् ! अब पांडवों की वनवास श्रादिकी अवधि पूरी होगई है, अत: आप जनका न्याय प्राप्त राज्य लौटा दें, आपको अन्यायपूर्ण राग-मिमा शा तृष्णाहोद ली लगने सन्यथ! आपके करुवंसका भविष्य खतरे से खाली न रहेगा, तुम है अाप्त पुरुषों की बातकी अवहेलना न करनी चाहिये । मैं आपको तात्कालिक अप्रिय परन्तु भषियमें हितकारक बात कर रहा हूँ इत्यादि रूपसे विदुरजीने उसे हितकारक वचन कहे थे, परन्तु उसने उनकी बात न . मानी इससे वह महाभारत के भयङ्कर युबमें सकृटुम्ब न होकर अपकीर्तिका पात्र बना।
SR No.090304
Book TitleNitivakyamrut
Original Sutra AuthorSomdevsuri
AuthorSundarlal Shastri
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, P000, & P045
File Size12 MB
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