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________________ ३६२ नियुक्तिपत्रक ८. दो प्रकार के वीर्य (बालवीर्य और पंडितबीम) को जानकर पंडितवीर्य में प्रयत्न करना चाहिए। ५ समान मग । १०. समाधि का प्रतिपादन। ११. सम्यग्दर्शन-ज्ञान-चारित्रात्मक मोक्षमार्ग का निरूपण । १२. चार वादों-क्रियावाद, अक्रियावाद, अज्ञानवाद तथा वनयिकबाद में सभवसृत तत्वों का निराकरण । १३. सर्ववादियों के कुमार्ग के निरूपण का प्रतिपादन । १४. अन्य नामक अध्ययन में शिष्यों के गुणों तथा दोषों का कथन तथा नित्य गुरुकुलवास में रहने का उपदेश। १५. 'आदानीय' अध्ययन में पूर्व उपन्यस्त आदानीय पद का संकलन तथा सम्यक् चारित्र का वर्णन । १६. पूर्वोक्त अध्ययनों में अभिहित सभी अर्थों का संक्षिप्त कथन । प्रथम अध्ययन : समय २९-३१. पहले अध्ययन के चार उद्देशक हैं । पहले उद्देशक के छह अधिकार है-१. पंच महाभूतों का वर्णन, २. एकात्मवाद (आत्मा-अद्वैतवाद), ३. तज्जीव-तच्छरीरसाद, ४. अकारकवाद, ५. आत्मषष्ठवाद, ६. अफलवाद । दूसरे उद्देशक के चार अर्थाधिकार है...-१. नियतिवाद, २. अज्ञानवाद, ३. ज्ञानवाद, ४. भिक्षुसमय अर्थात् शाक्य आगम में चारों प्रकार के कर्मों का उपचय नहीं होता, इसका प्रतिपादन । तीसरे उद्देशक में दो अर्थाधिकार है--१. आधाकर्म तथा २. कृतवादियों के बाद का प्रतिपादन । चौथे उद्देशक बा अर्थाधिकार है-अविरत अर्थात् गृहस्थों के कृत्यों से परतीथिकों को उपमित करना। ३२. 'समय' शब्द के बारह निक्षेप है :--- १. नाम समय ५. कान समय ९. गण समय २. स्थापना समय ६. कुतीयं समय १०. संकर समय ३. द्रव्य समय ७.संगार समय ११. गंडी समय ४. क्षेत्र समय ८. कुल समय १२. भाव समय ३३. पृथ्वी आदि पांचों भूत अलग-अलग गुण वाले हैं। उनके संयोग से चेतना, भाषा, संक्रमण आदि गुण उत्पन्न नहीं होते । पांच इन्द्रियों के पांच स्थान अथवा पांच उपादान कारण भी अचेतन हैं। उनके समुदाय से चैतन्य की उत्पत्ति नहीं हो सकती। इन्द्रियां प्रत्येक भूतात्मक हैं। एक का जाना हुआ दूसरी नहीं मान सकती। (इनमें संकलनात्मक प्रत्यय नहीं होता ।) १. स्थानानि----अवकाशाः । स्थानानि-उपादान कारणानि। (सूटी पृ ११) इन्द्रियों के स्थान-उपादामकारण इस प्रकार हैं--श्रोथेन्द्रिय का आकाश, घ्राणेन्द्रिय का पृथ्वी, चक्षुइन्द्रिय का तेजस्, रसनेन्द्रिय का पानी, स्पानेन्द्रिम का वायु ।
SR No.090302
Book TitleNiryukti Panchak
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorMahapragna Acharya, Kusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages822
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size19 MB
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