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________________ नियुक्तिमंचक ५५. स्त्री शब्द के निक्षेप । मन, वचन आदि की क्रिया बीर्य द्वारा पुरुष शब्द के निक्षेप। संभव। स्त्रियों द्वारा छलित अभय, प्रद्योत तथा आध्यात्मिक वीर्य के प्रकार | फूलवाल मुनि के उदाहरण का संकेत । ९७. वीर्य के तीन भेद। स्त्रियों पर विश्वास नहीं करने का ९८. शस्त्र के प्रकार। निर्देश। नौवां अध्ययन : धर्म नारी के वशीभूत होने के दुष्परिणाम।। ९९. धर्म के विषय में पूर्व कयन का उल्लेख । वीर पुरुष की पहचान । धर्म शब्द के निक्षेप तथा सूख्य धर्म के पुरुषों के प्रति आसक्ति से भी उक्त दोषों भेद । की संभावना का निर्देश । . १.१. भावधर्म के लौकिक और लोकोत्तर भेदपांचवां अध्ययन : नरकविभक्ति प्रभेदों का उल्लेख । नरक शब्द के छह निक्षेप । धर्म के अनधिकारी व्यक्ति की पहचान । भाव नरक का स्वरूप तथा तप-चारित्र में दसवां मध्ययन : समाधि उद्यम करने का निर्देश। दसवें अध्ययन का आदान-पद से आष विभक्ति प्राट है वह नियों ना मार्गद! HT गौण रूप से समाधि नाम का नारकीय वेदना का वर्णन ।। उल्लेख। समाधि शब्द के छह निक्षेपों का उल्लेख। परमायामिक देवों का नामोल्लेख । द्रव्य समाधि, क्षेत्र समाधि और काल ६८.१२. अंम आदि परमाधामिक देवों द्वारा दी समाधि का स्वरूप । जाने वाली विविध वेदनाओं का वर्णन । भाव समाधि के चार प्रकार। छठा अध्ययन : महावीर-स्तुति ग्यारहवां अध्ययन :मार्ग ८३. महद् और वीर शब्द के निक्षेपों का १०७. मार्ग काम्द के छह निक्षेपों का उल्लेख । कथन । १०८. न्य मार्ग के भेदों का नामोल्लेख । ८४. स्तुति शन्द के निक्षेप तथा द्रव्य और भाव १०९,११०. क्षेत्र मार्ग आदि का स्वरूप-कथन तथा स्तुति का स्वरूप-वर्णन । भावमार्ग के भेद-प्रभेदों का निर्देश। महाबीर-स्तुति अध्ययन का सार-यतना। तीन सौ प्रेसठ प्रवादियों का उल्लेख । सातवां अध्ययन : कुशील-परिभाषित सम्यक तथा मिथ्यामार्ग का स्वरूप८६,७. शील शब्द के चार निक्षेप तथा उसके भेद निरूपण। प्रभेदों का स्वरूप-कथन । कुमार्ग के उपदेष्टा के लक्षण । कुशील-परिभाषित अध्ययन की अन्वर्थता । ११४. सुमार्ग के उपदेष्टा के लक्षण । शीलवादी कौन? ११५. मोक्ष मार्ग शब्द के एकार्थक । ८।१. हिंसा करने वाला अनगार कैसे? बारहवां अध्ययन : समवसरण विभिन्न परिवाजकों का कथन । ११६. समवसरण शब्द के यह निक्षेपों का आठवां अध्ययन : वीर्य उल्लेन । भाव समवसरण के भेद । ९१-९४, वीर्य शब्द के षट निक्षेप तथा उसके भेद क्रियावादी, अक्रियावादी, वनयिक तथा प्रभेदों का वर्णन । मज्ञानवादी का उल्लेख ।
SR No.090302
Book TitleNiryukti Panchak
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorMahapragna Acharya, Kusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages822
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size19 MB
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