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________________ विषयानुक्रम ३३. मंगलाचरण तथा सूत्रकृतांग की नियुक्ति- पहला अध्ययन : समय कथन की प्रतिज्ञा। प्रथम अध्ययन के उद्देशकों की विषय-वस्तु सूत्रकृांग के एकार्थक । का संकेत। सूत्र शब्द के निक्षेप तथा उसके भेद समय शब्द के बारह निक्षेप । प्रभेद। चार्वाक दर्शन का निरूपण । करण, कारक और कृत शब्द के निक्षेप का ३४. अकारकवाद का निराकरण । निवेश । ३५. आत्मा को सक्रिय मानने पर उठने वाली द्रव्य करण के भेद-प्रभेद । आशंकाएं। मूलकरण और उत्तरकरण का स्वरूप । दूसरा अध्ययन । वंतालीय प्रयोगकरण का स्वरूप । ३६,३७ द्वितीय अध्ययन के उद्देशकों की विषयविससाकरण का स्वरूप । वस्तु का संकेत। क्षेत्रकरण का स्वरूप। ३८. विदारक, विदारण तथा विदारणीय शब्द कालकरण का स्वरूप । के निक्षेपों का मात्र संकेत । प्रकारान्तर से करण के ११ भेद । वष्य और भाव विदारण का स्वरूप । ४०. बैतालीम का निरुक्त तथा उक्त छंद का भावकरण का स्वरूप । उल्लेख । विनसाकरण का स्वरूप । प्रस्तुत अध्ययन की रचना का इतिहास । श्रुतज्ञान के आधार पर मूलकरण का । द्रव्यनिद्रा, भावनिद्रा तथा भावसंबोध का निरूपण । स्वरूप कर्मद्वार के आधार पर ग्रन्थ-रचना का ४३,४४, संयम, तप आदि के अभिमान का तथा आठ प्रतिपावन। मवस्थानों के परिहार का निर्देश। सूत्रकृत नाम की सार्थकता। तीसरा अध्ययन : उपसर्ग-परिक्षा सूत्रकृताग तीर्थंकर द्वारा पाग्योग से भाषित एवं गणधरों द्वारा वाग्योग से तीसरे अध्ययन के उद्देशकों की विषय-वस्तु का कथन। कृत। उपसर्ग शब्द के छह निक्षेप तथा द्रव्य सूत्रकृत का निरक्त । उपसर्ग के भेद । सूत्र शब्द का निरुता । ४-५.. क्षेत्र, काल, भाव तथा द्रव्य के भेद-प्रभेद । श्रुतस्कन्ध तथा अध्ययनों की संख्या का ५१-५३. ५१-५३, उदासीनता से किए जाने वाले हिंसा आदि निर्देश । कार्य की समीक्षा में तीन दृष्टांत । गाथा, श्रुत तथा स्कन्ध शब्द के निक्षेप । पौषा अध्ययन : स्त्री-परिज्ञा सूत्रकृतांग के अध्ययन तथा उनकी विषय- ४. पौये अध्ययन के उद्देशकों की विषय-वस्तु वस्तु का निर्देश । का संकेत । १६. २३. २४-२८.
SR No.090302
Book TitleNiryukti Panchak
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorMahapragna Acharya, Kusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages822
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size19 MB
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