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________________ नियुक्तिपंचक १५. पाचों महाव्रतों का सभी द्रव्यों में व्यवतरण होता है। जैसे --- पहले महाव्रत में षड्जीव निकाय का दूसरे तथा पांचवें महाव्रत में सभी द्रव्य तथा तीसरे और चौथे महाव्रत में द्रष्पों के एकदेश का समवतरण होता है । २८८ १६,१७. अंगों का सार क्या है ? वह है आचार | उसका सार क्या है ? वह है वनुयोगार्थं - व्याख्यानभूत अर्थ । उसका सार है - प्ररूपणा । प्ररूपणा का सार है-चारित्र उसका सार है - निर्वाण और निर्वाण का सार है-अन्याबाध (सुख) ऐसा जिन भगवान् कहते हैं । १८. ब्रह्म शब्द के नाम, स्थापना आदि चार निक्षेप होते हैं। स्थापना निक्षेप में ब्राह्मण की उत्पति कही जाती है। उसी प्रसंग में सात वर्णों तथा नो वर्णान्तरों की उत्पत्ति कथनीय है । १९. पहले मनुष्य जाति एक थी। ऋषभ के राजा बनने के पश्चात् मनुष्य जाति दो भागों में विभक्त हुई - क्षत्रिय और शूद्र । शिल्प और वाणिज्य का प्रवर्तन होने पर उसके तीन भाग हो गए - क्षत्रिय, शूद्र और वैश्य (भगवान् के केवलज्ञान के पश्चात् ) श्रावक-धर्म का प्रवर्तन होने पर मनुष्य जाति चार भागों में बंट गई - क्षत्रिय, शूद्र, वैश्य और ब्राह्मण अथवा श्रावक । २०. इन चारों के संयोग से सोलह वर्णों की उत्पत्ति हुई । उनमें सात वर्ण और नो वर्णान्तर है। वर्ण और वर्णान्तर ये दोनों विकल्प स्थापना ब्रह्म के जानने चाहिए । २१. मूल चार प्रकृतियों (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र) के अनन्तर योग से सात वर्ण ( ४+३) उत्पन्न होते हैं । अनन्तर योग से उत्पन्न होने वालों में चरम वर्ण का व्यपदेश होता है ।" २२. नो वर्णान्तर ये हैं- अम्बष्ठ, उग्र, निषाद, अयोगव, मागध, सूत, क्षत्त, वैदेह और चाण्डाल (इनकी उत्पत्ति इस प्रकार है-) २३-२५. ब्राह्मण पुरुष और वैश्य स्त्री से अम्बष्ठ, क्षत्रिय पुरुष और शुद्र स्त्री से उम्र, ब्राह्मण पुरुष और शूद्र स्त्री से निषाद अथवा पारासर या परासर, शूद्र पुरुष और वैश्य स्त्री से अयोग, संभ्य पुरुष और क्षत्रिय स्त्री से मागध, क्षत्रिय पुरुष और ब्राह्मण स्त्री से सूत, शुद्र पुरुष और क्षत्रिय स्त्री से क्षत, वैश्य पुरुष और ब्राह्मण स्त्री से वैदेह तथा शूद्र पुरुष और ब्राह्मण स्त्री से चाण्डाल को उत्पत्ति होती है । २६,२७. वर्णान्तरों के संयोग से उत्पन्न जातियां उग्र पुरुष और क्षत स्त्री से उत्पन्न जाति एवपाक, वैदेह पुरुष और क्षत्त स्त्री से उत्पन्न जाति वैणव, निषाद पुरुष और अम्बष्ठ स्त्री अथवा शुद्र स्त्री से उत्पन्न जाति वुक्कल तथा शुद्र पुरुष और निषाद स्त्री से उत्पन्न जाति कुक्कुरक कहलाती है । अन्य प्रकार से जातियों के ये चार भेद भी जान लेने चाहिए । १. सात वर्ण - देखें, श्लोक २१ । २. नौ वर्णान्तर—देखें, श्लोक २२ । ३. (१) द्विज पुरुष और क्षत्रिय स्त्री से उत्पन्न, (२) क्षत्रिय पुरुष और वैश्य स्त्री से उत्पन्न तथा (३) वैश्य पुरुष और शूद्र स्त्री से उत्पन्न — ये अनन्तर योग से तीन वर्ण उत्पन्न होते हैं। ४. जैसे--ब्राह्मण पुरुष से क्षत्रिय स्त्री में उत्पन्न क्षत्रिय होगा ।
SR No.090302
Book TitleNiryukti Panchak
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorMahapragna Acharya, Kusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages822
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size19 MB
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