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________________ २३४ ७०. ४. नियुक्तिपंचक दव्यपृथ्वी और भावपृथ्वी का स्वरूप। १०४. यथार्थ-बोध द्वारा पृथ्वीकाय की हिंसा से पृथ्वीकाय के भेद । विरति । बादरपथ्वी के श्लक्ष्ण और खर आदि दो १०५. अणगार की विशेषताएं। भेद । अपकाय के द्वार। ७३-७६. खर पच्ची के सत्तीस भेदों का नामोल्लेख। १०७. अप्काय जीवों के भेद । ७७,७८, वर्ण, गंध आदि के द्वारा पृथ्वीकाय के १०८, कादर अपकाय के पांच भेद । अनेक भेद । १०९. अपकाय जीवों का परिमाण । सूक्ष्म और बादर पृथ्वी काय के पर्याप्त और ११० हाथी की उपमा द्वारा मपकाय में जीयत्वअपर्याप्त भेव । सिद्धि । ८०,१. .. वृक्ष और औषधि आदि के उदाहरण से १११. अपकायके उपभोग के प्रकार । पुग्वीकाय के नानात्व का निरूपण । ११२. उपभोग के कारणों से अपकाय की हिंसा। ६२. पृथ्वीकाय जीवों की सूक्ष्मता का निरूपण । अपकाय जीवों के शस्त्र । सूक्ष्म पृथ्वीकाय के अस्तित्व को जिन-आजा द्रव्यशस्त्र और भावशस्त्र । से स्वीकृत करने का उल्लेख। ११५. पृथ्वीकाम की भांति अन्य द्वारों के विवेचन का कथन । पृथ्वीकाय के लक्षण। ११६. तंजसकाय के द्वारों का निर्देश । ८५. पृथ्वीकाय में जीवत्व-सिद्धि का उदाहरण । तैजसकाय जीवों के भेद । ५६. पृथ्वीकाय जीवों का परिमाण। ११८. बादर तैजसकाय के पांच भेद । ८७,८८. उदाहरण द्वारा परिमाण का निर्देश । ११९. उपमा द्वारा तैजसकाय में जीवत्व-सिद्धि । ८९,९०. क्षेत्र और काल की दृष्टि से पृथ्वीकाय का १२०. तैजसकाय जीवों का परिमाण । परिमाण। १२१. तैजसकाय जीवों के उपभोग के प्रकार । पृथ्वी काय का अवगाहन । १२२. उक्त उपभोग के कारणों से तैजसकाय की ९२,९३. पृथ्बीकाय का उपभोग कितने प्रकार से ? हिसा । उपर्युक्त उपभोग के कारणों से पृथ्वी काय की १२३,१२४. संजसकाय जीवों के शस्त्र । हिंसा का निर्देश । पथ्वीकाय की भांति अन्य दारों के कथन ९५. पृथ्वीकाय के पास्त्र। का निर्देश। स्वकायशस्त्र, परकायशस्त्र और भावशस्त्र १२६. पृथ्वीकाय की भांति बनस्पतिकाय के दारों का निरूपण । के कथन का निर्देश। ९७,९८. उदाहरण द्वारा पृथ्वीकाय की वेदना का १२७-३०. वनस्पतिकाय के भेद-प्रभेद । निरूपण । १३१-३३. प्रत्येक बनस्पति का दृष्टांत द्वारा लक्षण कथन । ९९. पच्चीकाय का वध करने वाला अणगार प्रत्येक बनस्पति जीवों का परिमाण । नहीं। आज्ञा द्वारा इन जीवों के अस्तित्व की हिंसा करने वाले अणगार के दोष । स्वीकृति। १०१. कृत, कारित, अनुमोदन द्वारा पृथ्वीकाय का १३६-४०. साधारण बनस्पति के लक्षण । वध । १४१. अनन्तकाय जीवों के भेद । १०२,१०३, पच्चीकाम के वध से तनिश्चित अनेक जीवों १४२. प्रत्येक वनस्पति की सूक्ष्मता का निर्देश । की हिसा। निगोद के जीवों की सूक्ष्मता का निर्देश । . १२५.
SR No.090302
Book TitleNiryukti Panchak
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorMahapragna Acharya, Kusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages822
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size19 MB
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