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________________ १४. नियुक्तिनक गंगाए' दोकिरिया, लुगा तेरासियाण उप्पत्ती। थेरा य गोट्टमाहिल, पुट्ठमबद्ध परूवेति ।। १७०. सावत्थी उसमपुरं, सेविया मिहिल उल्लुगातीरं । पुरिमंतरंजि दसपुर, रहवीरपुरं च नगराई ।। १७१. चोद्दस सोलस वासा, चोइसवीसुत्तरा य दोण्णि सया । अट्ठावीसा य दुवे, पंचेव सया उ चोयाला ॥ १७२. पंचसया चुलसीया, छच्चेव सया णवुत्तरा होति । णाणुत्पत्तीय दुवे, उप्पण्णा णिठवए सेसा ।। १७२११. चोट्सवासाई तदा, जिणेण उप्पाहितस्स णाणस्स । तो बहुरयाण दिट्ठी, सावत्योए समुप्पन्ना' ।। १७२।२. जेट्ठा सुदंसण जमालिऽणोज सावत्थि तिदुगुज्जाणे । पंचसया य सहस्स, ढंकेण जमालि मोत्तूण" ।। १७२।३. रायगिहे गुणसिलए, वसु चउदसपुन्धि तीसगुत्ते य । आमलकप्पा नगरी, मित्तसिरी कूर पिउडाई ।। १७२।४. सेयवि पोलासाले, जोगे तदिवस हिययसूले य । सोधम्म नलिणिगुम्मे, रायगिहे मुरिय बलभद्दे ।। १. गंगातो (पू), गंगासो (विभा २७८४)। टीकाकार ने भी इन गाथाओं के बारे में २. आवनि ७८०, गाथा १६९ के बाद कहीं भी 'आह नियुक्तिकारः' या नियुक्तिकद 'सावत्थी उसमपुरं' आदि तीन गाथाओं ऐसा कोई उल्लेख नहीं किया है तथा गाथाबों का संकेस चणि में मिलता है। टीका की व्याख्या न करके मात्र सम्प्रदाय का में ये तीनों गाथाएं तथा १७२११ गाथा विस्तृत विवेचन दिया है जो किसी प्राचीन उल्लिखित और व्याख्यात नहीं हैं। १६७ से ग्रंथ से उद्धृत है। १७२१-१३ इन १३ १७२ तक की गाथाएं आवश्यकनियुक्ति की गाथाओं में १६८ एवं १६९ ची भाषा की ही है। १७२।२-१३ की गाथाएं टीका में नियुक्ति व्याख्या है। गाथा के क्रम में व्याख्यात, किन्तु ये गाथाएं ३, निभा ५६५२, विभा २७८ । तया १७११ गाथा विशेषावश्यक भाष्य की ४. निभा ५६१८, विभा २७८: । हैं अत: इनको निगा के क्रम में नहीं जोड़ा ५. निभा ५६२१, विभा २७५७। है। इन गाथाओं के बारे में चूर्णिकार ने ६. टीका में निववाद के चालू क्रम में यह 'बोड्स वासा सत्या' 'जेट्टा सुदसण' गा. गाथा नहीं मिलती है किन्तु पूणि में इसका १७२।१.२ इन दो गाथाओं का संकेत देकर संकेत मिलता है। देखें विभा २७८८, निभा 'एवं सत्तण्ह वि निहयाण वत्तव्वया भाणियस्वा जहा सामाझ्यनिज्जुतीए केइ पुण निण्हए एत्थ ७. निभा ५५९७, विभा २७८९ । आलावगे पडिकहंति' का उल्लेख किया है। . निभा ५५९८, विमा २८१६ । ये गाथाएं विभा से यहां उद्धृत की है क्योंकि ९. निभा ५५९९, विभा २८३९ ।
SR No.090302
Book TitleNiryukti Panchak
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorMahapragna Acharya, Kusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages822
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size19 MB
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