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________________ te SS नियुक्तिपञ्चक १५२. एग मुकुंदा' तुरं, एग अहिमारदास्य- अग्गी । एगं सामलिपोंड, बद्ध आमेलओ होति ॥दा।। 'सीसं उरो य उदर, पिट्टी बाहाय' दोन्नि" उरुया य । एते अठेंगा खलु, 'अंगोवंगाइ सेसाई'८ ॥ १५४. होंति उवंगा कण्णा, नासच्छो 'हत्य-पाद-जंघा' य । नह-केस-मंसु"-अंगुलि, ओट्ठा खलु अंगुवंगाणि" दार।। १५५. जाणावरणपहरणे, जुझे कुसलत्तणं च नीति च । दक्खत्तं ववसाओ, सरीरमारोग्गताय चेव दार।। १५६. भावगं पि य दुविधं, सुतमंग" चेव नोसुतंगं५ च । सुतमंग" बारसहा, चउठिवह नोसुयंग तु ।। १५७. माणुस्सं धम्मसुती, सद्धा-तव-संजमम्मि विरियं च । एए भावेगा खलु, दुल्लभगा होति संसारे । १५८. अंग दस भाग भेदे, 'अवयव असगल य चुणिया खडे'२० । देस" पदेसे पव्वे, साह, पाल' प जिस । १५९. दया य संजमे लज्जा, दुगुंछाऽछलणा इय । तितिक्खा य अहिंसा य, हिरी एगट्ठिया पदा ॥ १. मगुंदा (ह) प्रकार मिलती है२. अहिमापदा० (गां)। होति उबंगा अंगुलि, ३. सामालिय० (ला), सामलीपुंडं (शा)। कण्णा नासा य पजणणं चेव । ४. सीसमुरो य (जू)। नह-केस-वंत मंसू, १. पट्टी (मा, ह), पिट्टि ति प्राकृतत्वात्पृष्ठ अंगोवंगेवमादीणि ।। (शाटी प १४३)। १२. मारोगया (ला)। ६. वाहातो (ला)। १३. आवनि ८४३ ७. दो प (ह)। ८. सेसाणि भवे उबंगाणि (सूचू प६)। १४. सुयमंतं (ला), सुर्य अंग (ह)। . १. जंघ हत्थ पाया (गोटी प १४३)। १५. नोसुयं अंग (ला, ह)। १०. मंस (ला)। १६. मकारश्च सर्वत्रालाक्षणिक; (शांटी प१४)। ११. अंगवंगाओ (ला), प्रकाशित टीफा में यह १७. नोशब्दस्य सर्वनिषेधार्थत्वात् अक्षुतांगम् गाथा उद्धृत है तथा णि में यह संकेतित (शाटी प १४४) । नहीं है। सभी आदों में यह उपलब्ध है। १५. प (शां)। आगे इसी नियुक्ति में ये दोनों गाथाएं (गाथा १९. वीरियं (यू)। १५३,१५४) पुनरुक्त हुई है लेकिन हमने २०. ०यवाऽसगल चुण्ण खंडे य (गां)। उनको निगा के क्रम में नहीं रखा है। देखें २१. देसे (ला)। टिप्पण १८२।१२। २२. साहा (ला, ह)। सूत्रकृतांग चूणि (१६) में यह गाथा इस २३. बिरती (ह, ला, चू)।
SR No.090302
Book TitleNiryukti Panchak
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorMahapragna Acharya, Kusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages822
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size19 MB
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