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________________ विषयानुक्रम २२९. छठा अध्ययन । २३०. महत् और शुल्लक शब्द के निक्षेप २३१.२३२. नि शब्द के निक्षेप तथा उसके भेद-प्रभेद निर्ग्रयों के प्रकार । बाह्य और आ चौदह प्रकार के आभ्यन्तर ग्रन्थी (बंधनों का नामोल्लेख दस प्रकार के बाह्य ग्रंथों (बंधन) का नामोल्लेख क्षुल्लक निधीय अध्ययन का निष्कर्ष । २३३. २३४. २३५. २३६. सकाम मरण की प्रशंसा । २३७. सात अध्ययन २३८,२३९. उर शब्द के निक्षेप तथा भेद-प्रभेद । २४०. औरश्रीय अध्ययन का निरुक्त। २४१. प्रस्तुत अध्ययन के काकिणी आदि पांच दृष्टान्तों का उल्लेख प्रस्तुत अध्ययन का निष्कर्ष । दीर्घायु का लक्षण । २४२. २४२/१. आठवां अध्ययन २४३,२४४. कपिल शब्द के निक्षेप भेद-प्रभेद | २४५. काविलीय अध्ययन का निरुत २४६-५२. कपिल के गृहस्थ और मुनि जीवन की कथा का उमेव । तथा उसके नवां अध्ययन २५३, २५४, नमि शब्द के निक्षेप तथा उसके भेद प्रभे । २५५. नमा अध्ययन का निश्वत । २५६. प्रव्रज्या शब्द के निक्षेप तथा द्रव्य और भाव प्रव्रज्या का स्वरूप 1 २५० २७२. करकं दुर्मुख, नमी तथा नरगति राजाओं के वैराग्योत्पति के कारणों का निर्देश २७६. दसवां अध्ययन २०५. २७२,२७४. म शब्द के निक्षेप तथा उसके भेद प्रभेद । भावम की व्याख्या तथा पत्र शब्द के निक्षेप । दुमपत्र अध्ययन के नाम की सार्थकता । १०९ बाल- महाशाल का पृष्ठचंपा में आगमन । गागलि की प्रव्रज्या २७९-२९९- भगवान् महावीर का उपदेश तथा गौतम द्वारा सिद्ध पर्वत की यात्रा । दत्त, कोहिग्य तथा शैवाल तीनों तापसों का प्रसंग गौतम द्वारा प्रव्रज्या तीनों की कैवल्योपत्ति के कारणों का निर्देश तथा गौतम की अति और उसका समाधान ३००-३०२. पांडुर पत्र तथा कोंपल के संवाद की अर्थबत्ता तथा उपमा का उल्लेख २७७. २७८. ग्यारहवां अध्ययन ३०३. ३०४. २०५. ३०७. २०८. ३०९. ३१०. बहु, भूत और पूजा-इन तीनों शब्दों के निक्षेप तथा द्रव्यबहु का उल्लेख । भाव बहु का वर्णन । द्रव्य और भावधुत्र का स्वरूप । भव्य और सम्यक दृष्टि का श्रुत है सभ्य भूत तथा कर्मनिर्जरा का कारण मिध्यादृष्टि और अभय का बुत है मिष्या त तथा कर्मबंध का कारण | द्रव्यपूजा का स्वरूप। भावपूजा का स्वरूप । भावजा के अधिकारी। बारहवां अध्ययन २११.३१२. हरिकेश शब्द के निक्षेप तथा उसके भेद प्रभेद । ३१३. हरिकेशीय अध्ययन का निरुक्त | ३१४.३१५. हरिवेश का पूर्वभत्र तथा उसके वैराग्योत्पत्ति का कारण चंडाल के कार्यक ३१६. ३१०-३२१. हरिकेश के वर्तमान जन्म की कथा, विरक्ति का कारण तथा अभिनिष्क्रमण । तेरहवां अध्ययन ३२२,२२२. चित्र और संतपद के निक्षेप तथा उसके भेद-प्रभेव विषभूत अध्ययन का निशक्त । ३२४. ३२५-३५२. चित्र और संभूत के पूर्वभव का वर्णन तथा ब्रह्मदत्त चक्रवर्ती के जीवन-संकेत ।
SR No.090302
Book TitleNiryukti Panchak
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorMahapragna Acharya, Kusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages822
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size19 MB
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