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________________ १२७ नियुक्ति साहित्य : गम पर्यवेक्षण .. . (क) यह भी लालभाई दलपतभाई विद्यामंदिर से प्राप्त है। यह ३२ सेमी. लम्बी तथा ११ सेमी. चौड़ी है। इसकी क्रमांक संख्या १८७७२ है। इसमें कुल ५५ पत्र हैं। आचारांगनियुक्ति ४६ वें पत्र से प्रारम्भ होकर ५५ के प्रथम पत्र में समाप्त हो जाती है। अंत में ३६९ ग्रंथान दिया है। हासिए के बायीं ओर आचानि-लिखा हुआ है। पाठ-संपादन के बाद मिलने के कारण क और ख प्रति से केवल महापरिज्ञा अध्ययन की नियुक्ति-गाथा के पाठान्तर ही लिए हैं। अनुमानत: इसका समय पन्द्रहवीं-सोलहवीं शताब्दी होना चाहिए। (ख) यह लालभाई दलपतभाई विद्यामंदिर, अहमदाबाद से प्राप्त है। इसकी क्रमांक सं. १९५१ है। इस प्रति में अक्षर बहुत साफ और आधुनिक लिपि के हैं। इसके अंत में ग्रंथाग्र ३६९ दिया है। यह २५.६ सेमी. लम्बी तथा १०.५ सेमी. चौड़ी है। इसके प्रारम्भिक ८ पत्रों में आचारांगनियुक्ति लिखी हुई है। अनुमानत: इसका समय सोलहवीं-सतरहवीं शताब्दी होना चाहिए। (चू.) ऋषभदेव केशरीमल श्वे संस्था रतलाम से प्रकाशित जिनदास चूर्णि के पाठान्तर। (टी) मोतीलाल बनारसीदास प्रकाशन से आचार्य शीलांककृत आचारांग और सूत्रकृतांग—ये दोनों टीकाएं संयुक्त रूप से प्रकाशित हैं। इसके सम्पादक मुनि जम्बूविजयजी हैं। यह नियुक्ति समेत टीका है। इसके पाठान्तर 'टी' से निर्दिष्ट हैं। (टीपा) आचारांग टीका के अंतर्गत पाठान्तर। सूत्रकृतांग नियुक्ति (अ) यह लालभाई दलपतभाई विद्यामंदिर, अहमदाबाद से प्राप्त है। इसकी क्रमांक संख्या ८९ है। यह ३३.७ सेमी. लम्बी तथा १२.७ सेमी. चौड़ी है। इसमें कुल ५ पत्र है। यह तकारप्रधान प्रति है। दीमक लग जाने से इसके अक्षर स्पष्ट नहीं हैं। प्रति के दोनों ओर हासिया तथा बीच में फूल की आकृति है। इसमें २०८ गाथाएं हैं। ग्रंथान २६० है, ऐसा प्रति के अंत में उल्लेख मिलता है। प्रति में लिपिकर्ता और लिपि के समय का उल्लेख नहीं मिलता। इसका समय अनुमानत: चौदहवीं-पन्द्रहवीं शताब्दी होना चाहिए। (ब) यह भी लालभाई दलपतभाई विद्यामंदिर, अहमदाबाद से प्राप्त है। इसकी क्रमांक संख्या ८३६३ है। यह ३३.१ सेमी. लम्बी तथा १२.७ सेमी. चौड़ी है। इसमें कुल ४४ पत्र हैं। सूत्रकृतांग नियुक्ति चालीस से चवालीसवें पत्र तक है। दोनों ओर हासिए में चित्रांकन है। अंत में "२०८ सूयगडनिज्जुत्ती सम्मत्ता" उल्लेख के साथ निम्न पद्य लिखा हुआ है पद्मोपमं पत्रपरम्परान्वितं, वर्णोज्ज्वलं सूक्तमरंदसुंदरम् । ___ मुमुक्षु,गप्रकरस्य वल्लभ, जीयाच्चिरं सूत्रकृदंगपुस्तकम्।। अनुमानत: इसका समय सोलहवीं शताब्दी होना चाहिए। (स) यह भी लालभाई दलपतभाई विद्यामंदिर, अहमदाबाद से प्राप्त है। इसकी क्रमांक संख्या १२१३८ है। यह २८.४ सेमी. लम्बी तथा ११.४ सेमी. चौड़ी है। इसमें कुल छह पत्र हैं। दोनों ओर हासिया तथा मध्य में लाल बिन्दु है। अंत में "सूयकनिज्जुत्ती सम्मत्ता गाहाणं शत २५० ।। शुभं भवतु।।श्री।।' इतना उल्लेख है। अनुमानतः इसका समय सोलहवीं शताब्दी होना चाहिए।
SR No.090302
Book TitleNiryukti Panchak
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorMahapragna Acharya, Kusumpragya Shramani
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages822
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size19 MB
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