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________________ 1 निर्मश्य-प्रवचन २१६ मूल:- हेट्टिमा हेट्टिमा चेव, हेट्टिमा मज्झिमा तहा । हेट्टिमा उवरिमा चेव, मज्झिमा हेट्टिमा तहा ॥२३॥ चेब, मज्झिमा मज्झिमा मज्झिमा उवरिमा उवरिमा हेट्टिमा चेव, उवरिमा मज्झिमा तह ||२४|| उवरिमा उबरिमा चेव, इय गेविज्जगा सुरा । विजया वैजयंता य जयंता अपराजिया ||२५|| 1 सव्वत्थसिद्धगा चैव, पंचाणुत्तरा सुरा । इइ बेमाणिया, एएऽरोगहा एवमायओ ॥ २६ ॥ छाया:- अधस्तनाधस्तनाश्चैव, अधस्तनोपरितनाश्चैव मध्यमामध्यमाश्चंच, उपरितनाऽघस्तनाश्चैव उपरितनमध्यम | स्तथा ॥२४॥ 1 सर्वार्थसिद्धकाश्चैव, इति वैमानिका एते, तहा । उपरितनोपरितनाश्चैव इति मैवेयकाः सुरा । विजया वैजयन्ताश्च " अश्वस्तनामध्यमास्तथा । मध्यमाऽधस्तनास्तथा ||२३|| मध्यमोपरितनास्तथा । 2 जयन्ता अपराजिताः ||२५|| पंचधानुत्तराः सुराः । अनेकधा एवमाद्यः ||२६|| अभ्ययार्थः – हे इन्द्रभूति 1 (हट्टिमा हेट्टिमा) नीचे की त्रिक का नीचे वाला (चव ) और ( हिडिमा मज्झिमा) नीचे की त्रिक का बीच वाला | ( तहा) तथा (हेमा उवरिमा ) नीचे की त्रिक का ऊपर वाला ( चेथ) और (मसिमाहेठमा ) बीचको त्रिक का नीचे वाला (सहा) तथा ( मज्झिमा मज्झिमा) बीच की त्रिक का बीच वाला (वेव) और (मज्झिमा उवरिमा ) बीच की त्रिक का ऊपर वाला (सहा) तथा ( उवरिमाहेद्विमा) ऊपर की त्रिक का नीचे वाला
SR No.090301
Book TitleNirgrantha Pravachan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChauthmal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size4 MB
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