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निग्रन्थ-प्रवचन ।
___भावार्थ:-है गोतम ! जो लोग यह कहते हैं कि इस सृष्टि को ईश्वर ने. देवताओं ने, ब्रह्मा ने तथा स्वयंभ ने बनाया है जनका यह कहना अपनी अपनी कल्पना मात्र है वास्तव में यथातथ्य बात को ये जानते ही नहीं हैं । क्योंकि यह लोक सदा अविनाशी है। न तो इस सृष्टि के बनने का आदि ही है और न अन्त ही है । हाँ, कालानुसार इसमें परिवर्तन होता रहता है परन्तु सम्पूर्ण रूप से सृष्टि का नाश कभी नहीं होता है ।
॥ इति एकादशोऽध्यायः ।।