________________
--निमिनशास्त्रम --
गन्धर्वनगर का दिखाई देना फसल की कमी, राजा या शासकीय अधिकारी का विनाश, पंचायत में मतभेद और सोने-चांदी के व्यापार में लाभ का
गुजार में गुरुवार के दिन गन्धर्वनगर का दिखाई देना पीले वस्तुओं के भाव का गिरने का संकेत करता है। इससे यह भी जाना जाता है कि लाल रंग की वस्तुओं के भाव बढ़ेंगे । फाल्गुन . मास में शुक्रवार के दिन गन्धर्वनगर का दिखाई देना वर्षा के समय पर पड़ने की सम्भावना को अभिव्यक्त करता है। ऐसे गन्धर्वनगर से पत्थर
और चूने के व्यापार में विशेष लाभ होता है परन्तु जूट आदि के व्यापार: में घाटा होता है । फाल्गुन मास में शनिवार के दिन गन्धर्वनगर का दिखाई देना शुभ वर्षा और अच्छी फसल का संकेत करता है।
गन्धर्वनगर के विषय में इतना विशेष जानना चाहिये कि उसका फलादेश अवगत करते समय उसकी आकृति, रंग, सौम्यता अथवा कुरूपता पर भी ध्यान देना पड़ता है। - जो गन्धर्वनगर जितना अधिक स्वच्छ होगा उसका फल उतना
ही अच्छा और पूर्ण होगा। कुरुप और अस्पष्ट दिखने वाले गन्धर्वनगर तुका फल अतिशय अल्प होता है । पूर्वाह्नादि काल के कारण से फल में भी १ अन्तर होता है।
ग्रन्थकर्ता ने दिशा, ऋतु और रंग के आधार से गन्धर्वनगर के फल का वर्णन विस्तार से किया ही है। व वराहमिहिर ने उत्तर, पूर्व, दक्षिण और पश्चिम दिशा के गन्धर्व
-नगर का फल क्रमशः पुरोहित, राजा, सेनापति और युवराज को विघ्नकारक माना है। श्वेत, रक्त, पीत और कृष्णवर्ण के गन्धर्वनगर को क्रमशः ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य व शुद्रों के नाश का कारण माना है।
यदि सभी दिशाओं में गन्धर्वनगर दिखाई देवें ती राजा और राज्य इन दोनों के लिए अत्यन्त भयप्रद है। यदि गन्धर्वनगर धूम, अग्नि या इन्द्रधनुष के समान हो तो चोर और वनवासियों के लिए महान कष्टकारक है।
पाण्डुरंग का गन्धर्वनगर वज्रपात का सूचक है। अनेक वर्णो की पताका से युक्त गन्धर्वनगर मुख्यरूप से महाभयंकर युद्ध होने की सूचना देता है।