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निर्मित्तशास्त्रम
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विचित्रवर्ण वाली उल्का का पतन देखना अर्थहानि को सूचित करती है। धूमवर्ण वाली उल्का का पतन देखने से वैयक्तिक हानियों का सामना करना पड़ता है।
उल्काओं के आकार से भी फल में अन्तर पाया जाता है। हाथी, घोड़ा और बैल आदि पशुओं के आकार को धारण करने वाली उल्कायें सुख की सूचिकायें हैं। साँप, शूकर और चमगीदड़ आदि के समान आकार खाली उल्काओं का पतन भय और रोग को सूचित करती हैं। सूक्ष्म आकार वाली उल्कायें शुभ और स्थूल आकार वाली उल्कायें अपना अशुभ फल देती हैं। तलवार की धुलि के समान उल्कायें व्यक्ति के अवनति को सूचित करती है। कमल, वृक्ष, चन्द्र, सूर्य, आदि रूप वाली उल्कायें यदि रविवार, मंगलवार और गुरुवार ਤੇ ਫਿਰ ਰਿਹ हुए दिखाई पड़े तो व्यक्ति को आकस्मिक लाभ अत्यधिक मात्रा में होता है। उसे सन्तान का लाभ और 'अनेक मांगलिक सूचनाओं की प्राप्ति होती है। मंगलवार, शनिवार और सोमवार को उल्कापात का दिखना अनिष्टकारक है। मंगलवार और आश्लेषा नक्षत्र में शुभसंकेत को सूचित करने वाली उल्काओं का पतन देखने से अनिष्ट ही होता है।
मंगलवार और रविवार को अनेक व्यक्ति मध्यरात्रि में उल्कापात देखें तो राष्ट्र की भयंकर हानि होगी । श्वेत, पीत और रक्तवर्ण की उल्का का पतन शुक्रवार और गुरुवार को दिखें तो वह राष्ट्रीय बल के बढ़ाने वाली सूचना देती है ।
शुक्रवार की मध्यरात्रि में अनुराधा नक्षत्र में उल्का का पतन कृषि के लिए अतिशय उत्तम है। सोमवार की मध्यरात्रि में श्रवणनक्षत्र के समय 'में होने वाला उल्का का पतन देखने से गेहूँ और धान की फसल अच्छी होगी ऐसा जान लेना चाहिये। मंगलवार के दिन श्रवण नक्षत्र हो और उसदिन उल्का का पतन दिखे तो जान लेना चाहिये कि गन्ने की फसल अच्छी होगी परन्तु चने की फसल को रोग लगेगा ।
गुरुवार अथवा शुक्रवार के दिन पुष्य या पुनर्वसु नक्षत्र हो और रात्रि के पूर्वार्ध में श्वेत या पीत वर्ण की उल्का का पतन दिखे तो अन्नादि 'वस्तुओं के भाव सामान्य ही रहेंगे ऐसा जानना चाहिये । गुरुपुष्यामृत योग में उल्कापात दिखाई पड़े तो यह सोने-चाँदी के भावों में विशेष