________________
निमित्तशास्त्रम
४. जिनगुणसम्पत्ति व्रतविधान:
आदिपुराण जैसे महान ग्रन्थों मे महिमा को प्राप्त इस विधान की रचना परम पूज्य जिनवाणी के लाडले सुपुत्र मुनि श्री सुविधिसागर जी महाराज ने की है। इस कृति में व्रतकथा, व्रतजाप्य, व्रतविधि, विधान का नशा अदिति समाहित है ।
सहयोग राशि:-२०रुपये. ५. रोटतीज विधान:
परम पूज्य युवासन्त श्री सुविधिसागर जी महाराज की जादुई , लेखनी से नि:सृत यह अनुपम रचना है। साथ में व्रतविधि, व्रतजाप्य है है व्रतकथा और विधान का नक्शा भी है।
सहयोग राशि :- ११ रुपये. ६. श्रुतस्कन्धविधान:S अज्ञातकर्तुक लेखक प्रणीत संस्कृत रचना तथा परम पूज्य के
युवामुनि श्री सुविधिसागर जी महाराज द्वारा रचित हिन्दी रचना इस प्रकृति का वैशिष्ट्य है । साथ में सरस्वती स्तोत्र, व्रतकथा, व्रतविधि,
ततजाप्य, सरस्वती मन्त्र और विधान का नक्शा भी इस कृति में १ सम्मिलित है।
. सहयोग राशि:- १५ रुपये. ७. सुगन्धदशमीव्रतविधान :
यह रचना परम पूज्य श्री सुविधिसागर जी महाराज के पुनीत करकमलों से हुई है। व्रतकथा, व्रतजाप्य, व्रतविधि और विधान का नक्शा भी इस कृति में प्रस्तुत है।
सहयोग राशि :- १० रुपये. ८. निर्वःखसप्तमीग्रात विधान:
___यह रचना परम पूज्य श्री सुविधिसागर जी महाराज के पुनीत करकमलों से हुई है । व्रतकथा, व्रतजाप्य, व्रतविधि और विधान का नक्शा भी इस कृति में प्रस्तुत है।
सहयोग राशि :- १० रुपये,