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-----निमित्तशास्त्रम
(११६) विधान साहिल्य १. कल्याणमन्दिर विधान:
आचार्य श्री कुमुदचन्द्र जी विरचित कल्याणमन्दिर स्तोत्र को जैनों के प्रमुख पाँच स्तोत्रों में स्थान दिया गया है । उसके आधार पर इस विधान की रचना हुई है । संस्कृत भाषा में इस विधान की रचना भहारक श्री देवेन्द्रकीर्ति जी ने की है।
संस्कृत विधान को आधार बनाकर परम पज्य काव्यविधाता मुनि श्री सुविधिसागर जी ने हिन्दी भाषा में विधान रचना की है।
विधान के साथ-साथ स्तोत्र का अर्थ, इतिहास, व्रत की विधि. व्रतजाप्य, विधान का आकर्षक नक्शा आदि का समावेश इस ग्रन्थ की। विशेषता है।
सहयोग राशि:- १७ रुपये. २. भक्तामर विधान:
आचार्य श्री मानतुंग जी की भक्तिपूर्ण रचना भक्तामर स्तोत्र के आधार पर इस विधान की रचना भट्टारक श्री सोमसेन जी ने की है।
इस पुस्तक में परम पूज्य कविरुदय मुनि श्री सुविधिसागर जी महाराज की हिन्दी रचना भी संलग्न है। . इस कृति में भक्तामर स्तोत्र के उत्पत्ति के विषय में प्रचलित कथायें, स्तोत्र का अर्थ, व्रतविधि, जाप्य, ऋद्धिमन्त्र, विधान का नक्शा आदि समस्त आवश्यक अंगों का समावेश है।
सहयोग राशि:-२० रुपये.
३. रविव्रत विधान:
परम पूज्य लेखनी के जादूगर , मुनिश्री सुविधिसागर जी महाराज की यह सुमधुर रचना है।
रविव्रतविधान की विधि, व्रतकथा, व्रतजाप्य, मण्डलविधान २. का नक्शा आदि अंगों की पूर्णता से कृति अतिशय मनोहर बनी है।
सहयोग राशि:- १५ रुपये.