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--लिमितशास्त्रम् ----
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पलब्ध प्रकाशन
ढीका ग्रन्थ १. रत्नमाला :
यह आचार्य श्री शिवकोटि जी का ग्रन्थ है । इस ग्रन्थ में संक्षिप्त पध्दति से श्रावकाचार का वर्णन किया गया है। इस ग्रन्थ में कुल ६७ श्लोक हैं । बारह व्रत, ग्यारह प्रतिमा, जलप्रयोग की विधि, नित्यनैमित्तिक क्रिया की विधि आदि अनेक विषय इस ग्रन्थ में वर्णित हैं।
परम पूज्य श्री सुविधिसागर जी महाराज की जादूभरी लेखनी से अनुवादित यह ग्रन्थ ज्ञानवर्धक है।
सहयोग राशि :- २५ रुपय २. प्रमाणप्रमेय कलिका:
न्यायशास्त्र के महाभवन का दार उद्घाटित करने के लिए सहायकरूप यह ग्रन्थ आचार्य श्री नरेन्द्रसेन जी के द्वारा रचित और परम पूज्य सुविधिसागर जी महाराज के द्वारा अनुवादित है । इस ग्रन्थ । का मूल प्रकाशन १९६१ में हुआ था। परन्तु पहली बार अनुवादित । होकर यह २००० में प्रकाशित हो पाया।
इस ग्रन्थ में प्रमाणाधिकार व प्रमेयाधिकार ये दो अधिकार हैं तथा कुल ५१ परिच्छेद हैं। ।
सहयोग राशि:- २१ रुपये १३. संबोहपंचासिया:
यह कवि गौतम का अनुपम ग्रन्थ है। इस प्रति में अज्ञात लेखक । की संस्कृत टीका भी है। मूल ग्रन्थ प्राकृत भाषा में है। ग्रन्थ अत्यन्त सरल है। इस ग्रन्थ में कुल ५१ गाथायें हैं। वैराग्योत्पादन करने वाले इस ग्रन्थ का एक बार स्वाध्याय अवश्य करना चाहिये।
परम पूज्य युवामुनि श्री सुविधिसागर जी महाराज ने इस ग्रन्थ का अनुवाद किया है।
सहयोग राशि:-२० रूपये