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निमितशास्त्रम् --
(१०३) १०१. अब इंद्रधनुष का स्वरूप कहते है। * अगर रात के वक्त श्वेत धनुष नजर आवै तो जान लो कि यहाँ पर संग्राम में रथभंग होंगे और मनुष्यों में कष्ट होगा। १०२. यदि दिन को इंद्रधनुष पूर्व से दक्षिण को टेढा मालुम होतो जान लो कि खूब हवा चलैगी और पानी नहीं बरसैगा। १०३. यदि पूर्व से पश्चिम को मालुम दे तो जामलो कि पानी खूब पड़ेगा। पूर्व से उत्तर को अगर धनुष दीखै तो भी अच्छा है। १०४. (इसका अर्थ प्रति में छूट गया है)
१०५. जो ऊपर धनुष के दोष बतलाये हैं वह वहाँ ही समझो कि जिस । नगर मैं या जिस राजा के राज मैं आते हैं। इनकी अवधि दो साल तक है। ११०६. जो धनुष उठता हुआ कांपता दिखाई देकर कभी लंबा, कभी है
चौडा सा दिखाई दे तो जानली कि राज्य-भय होगा।
१०७. अगर सीधा खडा मालुम ढे तो मंत्री और राजा मैं विरोध हो । * अगर धनुष उठता हुआ दिखाई देता उसी वक्त गिर पडै तो राजा का
राजभंग हौ। ४ १०८. अगर धनुष टूटता हुआ दिखाई दे तो राजा की मृत्यु है । यदि + बिखरता दिखाई दे तो रोग-पीडा होगी और यदि अग्नि निकलती ई दिखाई दे तो जानलो कि संग्राम होगा। १०९. यदि धनुष से धूआं उठता हुआ और चारों तरफ से आग की चिनगारियां उठती दिखाई दे तो यह बतलाता है कि राजा की मृत्यु और बाद मैं देश का नाश होगा। ११०. मधुके छत्ते की तरह अगर नगर को धनुष वेष्टित कर लो तो। जानलो कि घोर महामारी होगी, जिससे मनुष्य कष्ट उठावैगे और दुष्काल पड़ेगा। १११. अगर एक के उपर एक इस तरह से दो इंद्रधनुष नजर आवै तो जानलो कि मनुष्यों को हर तरह से खराबी है और शहर का माश भी करेगा। ११२. यह इंद्रधनुष संबंधी उत्पात पांचवै रोज या सात रोज अथवा एक साल (वर्ष) के अंदर फल देते है। ११३. यदि उत्पात दोष वर्जित हो तौ नृपति को शांति करने से देश मैं