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निमित्तशास्त्रम् -
(१०१ ७४. प्रतिमा जी का हाथ टूट से तीसर नहाने राजकुमार की मृत्यू होगी । और पांव के टूटने से सातवें महीने मनुष्यों को कष्ट होगा। ६७५. अगर प्रतिमा जी आपसे आप चलायमान हो जावै तौ मजुष्यों " को और राजा को अचानक कष्ट होगा तीसरे महीनें। * ७६. यदि प्रतिमा जी का मस्तकभंग हो जावे तो सातवै महीने राजा
के प्रधान की मृत्यु होगी। भुजा के टूटने से मनुष्यों को घोर पीडा होगी। ७७. प्रतिमाजी से आग निकलै था सिंहासन से गिर पड़े तो जान लो कि तीसरे महीने राजा की मृत्यु, अग्नि और चोरभय होगा। ७८. जो ऊपर बतलाये हुओ उत्पात पक्ष (पन्द्रह दिन) तक बराबर होते रहे तो जरूर बहत जल्दी दकाल का भय होगा। ७९. यदि देव प्रतिमां नाचने लगे, जीभ निकालै या रोवने लौ, घूमने । लगै, चलने लौं, हंसने लगे और कई प्रकार के भाव दिखावै तो८०. जान लो कि मनुष्यों को मरी का रोग, दुष्काल, शहर के लोगों * को और राजा को कई तरह से कष्ट होगा।
८१. प्रतिमा का रोना राजा की मृत्यु का सूचक है । हंसने से देश में विद्वेष होगा । प्रतिमा का चलना और कांपना बतलाता है कि यहाँ । संग्राम होगा। ८२. प्रतिमा से धूएं युक्त पसीने का निकलना कई तरह से फल बतलाता है। यदि शिव की प्रतिमा से ऐसा हो तो ब्राह्मणों का नाश होगा! ८३. कुबेर की प्रतिमा से धूआं युक्त पसीनां निकलै तौ भाइयों में , तबाही आजायगी और हाथों में धूआँ निकले तो कायस्थों में कट होगा। है इंद्र की प्रतिमा से ऐसा हो तो राजा का नाश होगा।
८४. कामदेव की प्रतिमा से धूआं निकलैं तो आगम बातों का नुकसान र होगा और योद कृष्ण की प्रतिमा से ऐसा हो तो संपूर्ण जाति के मनुष्यों ।
का नुकसान हो । यदि अरिहन्त, सिद्ध और बौद्ध की प्रतिमा से ऐसा हो तो जातियों का नाश होगा। ८५. चंडिका देवी के बालों से यदि ऐसा हो तो स्त्रियों के नाश होने से का हेतु है। और वाराहीदेवी हाथियों का नाश करती है। ४८६. जागनी देवी से धूम निकलै तौ गर्भनाश और महानाशदोष करती र है। यह जो जो बातें बतलाई है निश्चै अशुभ करती है।