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निमित्त शास्त्रम
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३२.
या उदय समय नजर आवै तौ राजा मरण और अल्पवृष्टि सूचित करता है। सूर्यास्त और उदय समय यदि बादल टुकडे टुकडे कई रंग के मालूम दें तो निश्चय बच्चों की मृत्यू और पानी की ना उमेदी सूचित . करता है।
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३३. अब आगें चन्द्र चिन्ह कहते हैं ।
चंद्रमा का रूप देखकर शुभाशुभ फल कहनें का ज्ञान बतलाते हैं। ३४... बालक चंद्रानं होता प्रतिपदा या व्दितीया का • धनुषाकार दक्षिण-उत्तर समान हो तो सुभिक्ष करता है । ३५. शुभ स्वच्छ सम चंद्रमां अच्छा पानी बरषानें वाला और सुभिक्ष करता है ।
३६. दक्षिणदिशा जिसकी किनारी उंची हो, वह आरोग्यता करता है। समान किनारेवाला संपत्ति करता है। सपाट लकड़ी के आकार चंद्र हो तौ मनुष्यों को हर तरह से दंड देता है। धनुषाकार चंद्रमां सम होता है।
३७. (हस्तलिखित प्रति में यह गाथा और उसका अर्थ छूट गया है 1 ) ३८. अगर चंद्रमां लालरंग का दिखाई दे तो ब्राह्मणों को भय का कारण होगा। पीला क्षत्रियों का नाश करता है। खाखी वैश्यों को भय करता है। ३९. काला चंद्रमां शूद्रों को विनाश करता है। पचरंगा, दही के रंगवाला, दूध के रंगवाला चंद्रमां कुल दूध के देनेवाले पशुओं का नाश 'करता है।
१०१५-२०१३
४०. चंद्रमां के गिर्द खंडित मंडलाकार दिखाई दे तो पांचवें महीनें, जरूर दूध का नाश होगा |
४१. जो-जो चिन्ह मंडल वगेरह के सूर्य-चंद्र के पीछे कहे गये हैं, वह 'निमित्त अवश्य होते हैं ।
४४.
.४२. जो चंद्रमां पर्वरहित हो परंतु राहु ग्रसा जैसा मालुम दे तो ऐसा चंद्रमां देशपीडा और भय का सूचक है।
४३. वर्षा के लिए जो चिन्ह सूर्य के पहले कह आये हैं, उन्ही चिन्हों से, चंद्रमां से भी काम लेना चाहिये ।
उत्पात वर्णन
अब उत्पातों का वर्णन करते हैं।
जहाँ पर बहुत से आदमियों की आवाज सुनाई दे और वह नजर
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