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णमोकार ग्रंथ
(१६) उदय, (२०) पंचवर्ण, (२१) तिल, (२२) तिलपुछ, (२३) क्षीरराशि, (२४) धूम, (२५) धूमकेतु, (२६) एक संस्थान, (२७) अज्ञ, (२८) कलेर (२६) विकट, (३०) प्रभिन्न संधि (३१) ग्रन्थि, (३२) मान (३३) चतुत्पाद, (३४) विद्युब्जिका, (३५) नभ, {३६) सदृश, (३७) निलय, (३८) कालचक्र, (३९) कालकेतु, (४०) अनप, (४१) सिंहायु, (४२) बिगुल, (४३) काल, (४४) महाकाल, (४५) रुद्र, (४६) महारुद्र, (४७) संतान, (४८) सम्भब (४६)सर्वार्थी, (५०) दिश' (५१) शाति, (५२) वस्तून, (५३)निश्चल, (५४) प्रत्यभ (५५)निमत्र (५६) ज्योतिष्मान (५७) स्वयंप्रभ (५८) भासुर (५६) विरज (६०) निदुःख (६१) वीतशोक (६२सीमकर (६३) क्षेमकर (६४) अभयंकर (६५) विजय (६६) वैजयन्त (६७) जयन्त (६८) अपराजित (६६) विमल (७०) त्रस्त (७१) विजयष्णु (७२) विकस (७३) करिकाष्ट (७४) एक जटि (७५) अग्नि ज्वाल (७६) जलकेतु (७७) केतु (७८) क्षीरस (७६) अध (८०) श्रवण (८१) राहु (८२) महाग्रह (८३) भावग्रह (८४) मंगल (८५) शनिश्चर (८६) बुध (८७) शुक्र और (८८) वृहस्पति ऐसे अठासी ग्रह हैं।
प्रहाईस नक्षत्रों के नाम - (१) कृतिका, (२) रोहिणी, (३) मृगशिर, (४) आर्द्रा, (५) पुनर्वसु, (६) पुष्य, (७) अश्लेषा, (८) मघा, (६) पूर्वाफाल्गुनी, (१०) उत्तराफाल्गुणी, (११) हस्त, (१२) चित्रा, (१३) स्वाति, (१४) विशाखा, (१५) अनुराधा, (१६) ज्येष्टा, (१७) मूल, (१८) पूर्वाषाढ़, (१६) उत्तराषाढ़, (२०) अभिजित, (२१) श्रवण, (२२) धनिष्टा, (२३) शतभिषा, (२४) पूर्वाभाद्रपद, (२५) उत्तराभाद्रपद, (२६) रेवती, (२७) अश्वनो मोर, (२८) भरणी-इस प्रकार अट्ठाईस नक्षत्र हैं।
अट्ठाईस नक्षत्रों के अधिदेवता (१) अग्नि, (२) प्रजापति, (३) सोम, (४) रुद्र, (५) दिति, (६) देवयंत्री, (७) सूर्य, (E) पिता, (६) भाग, (१०) अर्यमा, (११) दिनकर, (१२) त्वष्टा, (१३) अनिल. (१४) इंद्राग्नि, (१५) मित्र. (१६) रुद्र, (१७) नैऋत्य, (१८) जल, (१६) विश्व, (२०) ब्रह्मा, (२१) विष्ण, (२२) वसु. (२३) वरुण, (२४) अज, (२५) अभिवृद्धि, (२६) पूषा, (२७) प्रश्व और, (२८) यम-ये क्रमशः अट्ठाईस कृतिका आदि नक्षत्रों के अधिदेवता अर्थात् स्वामी हैं।
कृतिका आदि नक्षत्रों के तारे क्रमशः (१) छह, (२) पाँच, (३) तीन, (४) एक, (५) छह, (६) तीन, (७) छह, (८) चार, (९) दो, (१०) दो, (११) पाँच, (१२) एक, (१३) एक, (१४) चार, (१५) छह, (१६) तीन, (१७) नौ, (१५) चार, (१६) चार, (२०) तीन, (२१) तीन, (२२) पांच, (२३) एक सौ ग्यारह. (२४) दो, (२५) दो. (२६) बत्तीस, (२७) पांच (२८) तीन होते हैं।
कृतिका प्रादि नक्षत्रों के तारे क्रमशः इस-इस आकार वाले होते हैं :-(१) वोजना (२) गाडे की. उद्धिका, (३) हिरण का मस्तक, (४) दीपक, (५) छत्र, (६) तोरण, (७) बांबी, (८) गौमत्रवत मोडे बाले, (९) शर का युगल, (१०) हाथ (११) कमल, (१२) दीपक, (१३) अहिरण, (१४) उत्कृष्ट हार, (१५) वीणा का श्रृंग, (१६) बिच्छू, (१७) जीर्ण बाबड़ी (१८) सिंह का कुभस्थल, (१९) हस्ती का कभंस्थल, (२०) मृदंग, (२१) आकाश से गिरता हुमा पक्षी, (२२) सेना, (२३) हस्ती का प्रलगा शरीर, (२४) हस्ती का पिछला शरीर, (२५) नाच, (२६) घोड़े का मस्तक, (२७) चन्द्रमा (२८) पाषाण के समान प्राकार वाले होते हैं।