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णमोकार पंथ
२८३ दीक्षा लेने के एक बेला पश्चात् प्रथा पारणा किया ! नाम नगर जहाँ प्रथम पारणा किया-चऋपुर । प्रथम पाहार दाता का नाम-प्रषभदत्त । तपश्चरण काल--सोलह वर्ष । केबल ज्ञान तिथि- पौष कृष्णा २। केवलज्ञान समय---प्रातः काल । केवलज्ञान स्थान-मनोहर वन । समवशरण प्रमाण--तीन योजन । गणधर संख्या - २८ । मुख्य गणधर का नाम-विशाखाचार्य । वादियों की संख्या - १४०० । चौदह पूर्व के पाठी-५५० । प्राचारांग सूत्र के पाठी शिष्य मुनि-२६०००। अवधिज्ञानो मुनियों की संख्या---२२०० । केवल ज्ञानियों की संख्या--२०६५० । विक्रिया-ऋद्धिधारी मुनियों की संख्या-- १४००। मनःपर्यय ज्ञानी मुनियों की संख्या-१७५० । वादित्र सद्धिधारी मुनियों की संख्या-१२००। समस्त मुनियों की संस्था-४००००। आर्यिकानों की संख्या-५५००० । मुख्य प्रायिका का नामबन्धमती। श्रावकों की संख्या-एकलाख । श्राविकाओं की संख्या-तीन लाख । समवशरण काल१६६८४ वर्ष । मोक्ष जाने से तीस दिन पहले समवशरण विघटा । निर्वाण तिथि - फाल्गुन शुक्ल पंचमी। निर्वाण नक्षत्र-प्रश्वनी । मोक्ष जाने का समय-रात्रि मोक्ष जाने का स्थान-सम्मेद शिखर (शांकलम ट। भगवान के मुक्ति गमन के समय-२८८०० मुनि साथ मोक्ष गए। समवसरण से समस्त पांच सौ मुनि मोक्ष गए।
इति श्री मल्लिनाथ तीर्थंकरस्य विवरण समाप्तम् ॥
अथ श्री मुनिसुव्रतनाथ तीर्थकरम्य विवरणम् : - श्री मल्लिनाथ भगवान के निर्वाण होने के अनन्तर चौवन लाख वर्ष व्यतीत होने के बाद प्रानन्द कंद जिनेन्द्र चन्द्र श्री मुनिसुव्रत भगयान ने आणत नामक चौदहवें स्वर्ग से चयकर अपने जन्म से इस अवनि मंडल को विभूषित किया । इनका जन्म स्थान-राजग्रही। पिता का नाम-धी सुभित्रनाथ । माता का नाम-पदमवतीदेवी । वंश-हरि । गर्भ तिथि · श्रावण कृष्ण २१ जन्म तिथिवैशाख कृष्ण १० शरीर का वर्ण-श्याम 1 जन्म नक्षत्र--श्रवण चिन्ह-कन्छ । शरीर! घनष । प्राय प्रमाण-जीस हजार वर्ष । कुमार काल-साढे सात हजार वर्ष । राज्य काल-१५००० वर्ष। पाणिग्रहण किया। इनके समकालीन प्रधान राजा का नाम-अजितराय । दीक्षा तिथि-वैशाख कृष्ण १०॥ भगवान के तप कल्याणक के गमन के समय की पालकी का नाम-अपराजिता। भगवान के साथ दीक्षा लेने वाले राजाओं की संख्या-१०००1 दीक्षा वृक्ष-चम्पावृक्ष | तपोवन-नीलगुफा (कुशाग्रपुर)। वैराग्य का कारण-उल्कापात होते हुए देखना । दीक्षा समय--अपरान्ह । दीक्षा लेने से एक बेला करने के पश्चात् प्रथम पारणा किया । नाम नगर जहां प्रथम पारणा किया-मिथिलापुर । प्रथम पाहार दाता का नामराजादत्त । तपश्चरण काल-यार
केवलज्ञान तिथि-वैशाख कृष्ण नवमी। केवलज्ञान समय-अपरान्ह काल । केवल मान स्थान-मनोहर वन । समवशरण का प्रमाण–ढ़ाई योजन । गणधर संख्या-अठारह । मुख्य गणधर का नाम-मल्लिनाथ । बादियों की संख्या-१२०० । सौदह पूर्व के पाटी-पाँच सौ। प्राचारांग सत्र के पाठी शिष्य मुनि-२१००० । अवधिज्ञानी मुनियों की संख्या--प्राठ सौ । केवलशानियों की संख्या-१८०० । विक्रिया ऋशि धारी मुनियों की संख्या--२२००। मनःपर्ययज्ञानी मुनियों की संख्या-१५००। वादित्रऋद्धिधारी मुनियों की संख्या-१२००। समस्त मुनियों की संख्या-३००००। मायिकाओं की संख्या५००००। मुख्य प्रायिका का नाम-पुष्पमती। श्रावकों की संख्या एक लाख । श्राविकाओं की संख्यातीन लाख । समवशरण काल-२४८६ वर्ष । मोक्ष गमन से तीस दिन पहले समवशरण विघटा। निर्वाण
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