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________________ २८२ णमोकार च अथ श्री अरहनाथ तीर्थकरस्य विवरणम् :श्री कुथनाथ भगवान के निर्वाण होने के अनन्तर हजार कोटि वर्ष कम पावपल्य व्यतीत होने के बाद श्री अरहनाथ भगवान ने अपराजित विमान से चय कर से इस वसुधा मंडल को मंडित किया । इनका जन्म स्थान --हस्तिनापुर । पिता का नाम-श्री सुदर्शन । माता का नाम --सुमित्रा देवी । वंश-कुरु । गर्भ तिथि-फाल्गुन शुक्ल तीज । जन्म तिथि–मार्गशीर्ष शुक्ल चौदा । जन्म नक्षत्ररोहिणी । शरीर का वर्ण-सुवर्णसम। चिन्ह मस्थ । शरीर प्रमाण-तीस धनुष । प्रायु प्रमाण - चौरासी हजार वर्ष । कुमार काल ..इक्कीस हजार वर्ष । राज्यकाल -बयालीस हजार वर्ष । पणिग्रहण किया । इनके समकालीन प्रधान राजा का नाम-गोविन्द राय । दीक्षा तिथि-मार्गशीर्ष शुक्ल दशमी। भगवान के तप कल्याणक के गमन के समय की पालकी का नाम-वैजयन्ती । भगान के साथ दीक्षा लेने वाले राजानों की संख्या---१००० 1 दीक्षा वृक्ष प्राप्रवक्ष। तपोवन -सहस्त्रानान (हस्तिनापर)। वैराग्य का कारण - उल्का पात होते देखना । दीक्षा समय-अपरान्ह । दीक्षा लेने के एक बेला पश्चात् प्रथम पारणा किया। नाम नगर जहाँ प्रथम पारणा किया -हस्तिनापुर । प्रथम आहार दाता का नामनंद सेन । तपश्चरण काल-ग्यारह वर्ष । केवलज्ञान तिथि- कार्तिक शुक्ल १२। केवल ज्ञान समय -- अपरान्ह काल । केवलज्ञान स्थान-मनोहर वन । समवशरण का प्रमाण–साढ़े तीन योजन । गणधर संख्या-तीस । मुख्य गणधर का नाम-कथनाथ । वादियों की संख्या - सोलह सौ। चौदह पूर्व के पराठी -छ: सौ दस | आचारांग सूत्र के पाठी शिष्य मुनि--३५८३५ । अवधि ज्ञानी मुनियों की संख्या२८०० । केवल ज्ञानियों की संख्या -२८०० । विक्रिया--ऋद्धि धारी मुनियों की संख्या -- ४३००। मनः पर्यय ज्ञानी मुनियों की संख्या-२५५११ वादिव ऋद्धि धारी मुनियों की संख्या--सोलह सौ-। समस्त मनियों की संख्या--पन्नास हजार । प्रायिकाओं की संख्या-६००००। मख्य आर्यिका का नाम रक्षिता श्रावकों की संख्या एक लाख । श्राविकारों की संख्या-तीन लाख । समवशरपा काल-२०६८९ वर्ष । मोक्ष गमन से एक मास पहले समवशरण विघटा। निर्वाण तिथि-चैत्र शुक्ल ११। निर्वाण नक्षत्र ~~ रोहिणी । मोक्ष जाने का समय -अरुणोदय । मोक्ष गमन के समय का पासन-कायोत्सर्ग। मोक्ष स्थान -सम्मेद शिखर (नाटक कूट) । भगवान के मुक्ति गमन के समय-२७२०० मुनि साथ मोक्ष गए। समवशरण से समस्त एक हजार मुनि मोक्ष गए । पश्चात् इनके तीर्थ में सोलह केवली हुए। इति थी अरहनाथ तीर्थंकरस्य विवरणम् । अथ श्री मल्लिनाथ तीर्थकरस्य विवरण प्रारम्भः--- श्री अरहनाथ भगवान के निर्वाण होने के अनन्तर एक कोटि वर्ष व्यतीत होने के बाद मदन विजयी जिनेन्द्र चन्द्र श्री मल्लिनाथ भगवान ने अपराजिन विमान से चयकर अपने जन्म से इस भमंडल को परम पवित्र किया। इनका जन्म स्थान-मिथिलापुरी। पिता का नाम-श्री कुभराय । माता का नाम रक्षिता देवी। वंश-कुरु । गर्भ तिथि- चैत्र सुदी १। जन्मतिषि-मार्गशीप शक्ल ११॥ जन्म नक्षत्र-अश्वनी । शरीर का वर्ण-सुवर्णसम। चिन्ह -- कलश । शरीर प्रमाण-पच्चोस धनुष । आयु प्रमाण-पचपन हजार वर्ष । कुमार काल-दस हजार वर्ष । राज्यकाल-३६५०० वर्ष 1 पाणिग्रहण नहीं किया । इनके समकालीन प्रधान राजा का नाम-सुलूमाराय । दीक्षातिथि - अगह्न शुक्ल ११ । भगवान के साथ दीक्षा लेने वाले राजाओं की संख्पा-६०६। दीक्षावक्ष-अशोक वृक्ष । तपोवनसहस्त्राप्रवन (मिथिलापुरी) । वैराग्य का कारण-उल्कापात होते देखना। दीक्षा समय -अपरान्ह। ।
SR No.090292
Book TitleNamokar Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeshbhushan Aacharya
PublisherGajendra Publication Delhi
Publication Year
Total Pages427
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size14 MB
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