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________________ प्रकाशकीय णमोकार ग्रन्थ के इस संस्करण को प्रकाशित करते हुए मेरा हृदय परम पूज्य आचार्य रत्न श्री देशभूषण जी महाराज के प्रति श्रद्धा एवं कृतज्ञता से नतमस्तक हो उठा है। आचार्य श्री ने अपने जीवन में अनेकों ग्रन्थ लिखे हैं जिनमें से प्रस्तुत अन्य आचार्य श्री का श्रावक समाज के लिए अद्भूत संस्करण हैं । ___आचार्य श्री को यह धारणा थी कि सन्त समाज को क्षमता से अधिक पुरुषार्थी करना चाहिए । इस प्रन्थ के सम्पादन में अथाह परिश्रम करके उन्होंने अपने को सामाजिक ऋण से मुक्त कर लिया था। प्रस्तुत ग्रन्थ जो आप सभी श्रावकों को पढ़ने के लिए उपलब्ध हो सका, उसका श्रेय सर्वश्री आचार्य वेशभूषण जी महाराज को जाता है जिनको अनुकम्पा से यह प्रन्ध स्वाध्याय के लिए बायक समाज को उपलब्ध हो सका। ___इस प्रन्थ के पुनः प्रकाशन में श्री राजेन्द्र प्रसाद जी जैन (कम्मोजो) एवं श्री 108 आचार्य श्री देशभूषण जी महाराज (ट्रस्ट) के सभी पदाधिकारियों व श्री मदन लाल जैन (घंटे वाले) एवम कुमारी स्वेता जैन (दिगम्बर) का हृदय से आभारी हूँ। यह ग्रन्थ श्रावकों को उपयोगी सिद्ध होगा ऐसा मुझे विश्वास है यदि इस ग्रन्थ में व्यक्तियों के लिए क्षमा प्रार्थी होते हुए पाठकों से निवेदन है कि अपने बहुमूल्य सुझाव हमें भेजें जिससे को अगली आवृत्ति में सुधार किया जा सके । नीरज जैन (दिगम्बर)
SR No.090292
Book TitleNamokar Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeshbhushan Aacharya
PublisherGajendra Publication Delhi
Publication Year
Total Pages427
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size14 MB
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