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________________ ३७५ चौपाई रिक राय करें प्रसन्न | कौण कौरा संगति हुवा मौन || कैसी कैसी पाई ग्राम तिरका व्यवर सुरगावो नाम ।।४२५१ ।। वाशी एक तसु भेद अनेक सिद्धार्थ रतनवरघन राय । सुसीमा नन्द आनदकंद 1 सुमति महा विधि सेतो चंद || जनवल्लभ इंद्रध्वज सतवाहन । हरि सुमित्र धर्मं बलवांन || ४२५३।० संपूरन नंद सुधन सांत । सहम स्वेतांबर भये छह भांत || केई गये पंचमी गति हैं स्वयं लोकी १४२५४॥ रामचन्द्र लक्ष्मरण द्वारा दुःख प्रकट करना प्राणी कर व्याख्यान मनेक ।। बुशहन जंबुनद परि भाव ॥४२५२।। रामचंद्र लखमण बिललाइ । भरत बिना कछु चित्त न सुहाइ ॥ हा हा कार भए चिहुंओर | आभूषण सब हारे तोडि ।।४२५५ ।। बापुराण रुदन करें फाड़े सब चीर 1 रुदन करें बहु चलं जल नीर ॥ हाम भर हम पाए क्यूं हम भी तो संग दिक्ष्या ल्यू ||४२५६ ॥ तुम बिन कैसे जीव बोर । तुम विडे बहु पार्ने पीर ॥ तब मंत्री समभाव बन । सुखी बात चित राखो चैन ॥४२५७ || राम का राज्याभिषेक 'भरथ ने कीये उत्तम फर्म 1 रघुब सी कुल उपन्या धर्म || सब परिवार चढाई रती । श्राप करी मुक्ती को गती ।।४३५८२ करो राज मच कालो कलस । परजा सुख पावें ज्यु सरम ॥ राम करें राज का काज । लक्षमण राज करो महाराज |१४२५६॥ लक्षमण चले सभा संयुक्त आए रामचन्द्र के पास सब नरपति लक्षमण पे गये । नमसकार करि गई भए । प्रभुजी चलो करो तुम राज । पटाभिषेक करो तुम आजि ।।४२६० ॥ पट ऊपर बैठे दोज वीर द्वारे फलस एक सो ग्राठ बाजंतर बाजया बहुत ॥ दोऊ भ्राता मन उल्लास ।।४२६१।। रतन कनक कलस भरि नीर ।। । पदम नरायण राज का पाट ||४२६२॥
SR No.090290
Book TitleMuni Sabhachand Evam Unka Padmapuran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year1984
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Mythology
File Size9 MB
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