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________________ अनि सभाचं एवं उनका पपपुराण ६२ वा विधानक चौपाई मस्टाहिनका महोत्सव फागुन मास अष्टमी स्वेत । अठाई वत्त करें धरि हेत ।। नंदीश्वर दीप जिनेस्वर भवन । सुरपति कर तिहां गवन १३५२१।। अमराथिप पूजें जिन देव । कर नृत्य मन बच सुनेह ।। कंचन कलम पीर जल लाव । ते ढाल मस्तक भगवान ।।३५२२।। ग्तनपुंज रि पूजा करें । जे जे सबद पाप कू हरें ।। खेचर भूचर चल्यालय भगवंत । रचना रचै तिहाँ बहुमंत ।।३५२३।। तो बन्न थे सोभय ठोर । बाजंतर बाज तिहां सोर ।। अष्ट द्रव्य सामग्री धरणी । वांदरवाल को सोभावणी ॥३५२४।। पंडित मुनी पढ़ जिनदेव । कहै ग्यांन के सूक्ष्म भेद ।। वर्त अठाई उत्तम ध्यान । करुणा भंग वखाणे ग्यांन ।।३५२५॥ दूध दही रस घृत की धार । श्री जिन पूजा बारबार ।। दुहंघा वोर कर सब धर्म । जीव जंत करूणा का मम ।।३५२६।। सब ही सू' छोडे तिहार । पुन्य काज लागे चई फेर ।। चरचा करै घरम की रुची । पास क्रिया बहुत ही सुची ।।३५२७।। सामाईक कर त्रिकाल । सावधान सब ही भुवाल ।। प्रात्मा लिव ल्याब बहु भाइ । विठसू वृत्ति कर सब राय ।। ३५२८।। वत्तं प्रवाई जे करें, रास्ने समफित मुघ ।। सो ही उत्तम जिन सही, कर धर्म की बुष ।। ३५२६।। चौपाई शांतिनाथ मिदर सु अनूप । पूजा करें तिहाँ रावन भूप ।। मष्टांग कर नमस्कार । प्रस्तुति पर्व सु बारंबार ।।३५३०।। मन में विचार अंसा भाव । जिहां लग बसे नगर मन गांव ।। पाठ दिवस का पोसा लेह । नित उठि दान सुपात्रां देहि ।।३५३१॥ जमदंड फु इह-प्राग्या भई । कुरा फेरि दुहाई दई । जे ते हैं उत्तम कूल लोग । आठ दिवस अठाई जोग ।।३५३२।। प्रारंभ तनि करी दिढ घरम । पाठ दिवस छोडो सब कर्म ।। जा के घर में नाहीं प्रश्न । तिस क् यो मुंहमाम्या पन्न ।।३५३३।।
SR No.090290
Book TitleMuni Sabhachand Evam Unka Padmapuran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year1984
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Mythology
File Size9 MB
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