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________________ प्रस्तावना मतानुसार राम कया के मुख्य स्रोत दशरथ जातक एवं रावण सम्बन्धी प्रारुयान लेकिन राम कथा को जितनी लोकप्रियता वाल्मीकि रामायण ने प्रदान की उतनी सोकप्रियता इसके पूर्व कभी प्राप्त नहीं हुई। वाल्मीकि रामायण के रचनाकाल पर विद्वानों के विभिन्न विचार हैं उनमें वेल्वलकर ई.पू. २०० तक, चिन्तामणि विनायक बंच ने ईसा पूर्व १२०० में २०० ईस्वी पश्चात् तका, फादर बुल्के ने ६०० ईसा पर्व तक, कीथ ने ४०० ई. पूर्व तक, विटरनिटा ने ३०० ईसा गर्न तक, बलोग अध्यार दे ५०० ईसा पूर्व तक तथा महापंडित राहुल सांकृत्यायन ने १५० से २०० ईसा पूर्व तक माना है। राम कथा के विद्वानों के मतानुसार इतना अवश्य कहा जा सकता है कि महर्षि वाल्मीकि को गमायण ईसा के ४००५०० वर्ष पूर्व ही लोकप्रिय बन चुकी थी लेकिन उनकी इस रामायण के वर्तमान रूप को प्राप्त करने में उसे अवश्य ही ७००-८०० वर्ष लगे होंगे और ईसा पूर्व द्वितीय शताब्दि तक उसे वर्तमान स्वरूप प्राप्त हो गया होगा। जैन धर्म में राम का स्थान : भगवान राम आठवें बलभद्र हैं जो २० वें तीर्थ कर मुनिसुव्रतनाथ के शालनकाल में हुए थे। लेकिन राम का जीवन मुनिसुव्रतनाथ के शासन काल से लेकर भगवान महावीर तक मौखिक रूप से ही चलता रहा और किसी ने लिपिबद्ध किया भी हो तो उसका कोई उल्लेख नहीं मिलता । भगवान महावीर के निर्वाण के बाद जब ग्रन्थों के लिपिवद्ध करने का निर्णय लिया गया और प्राकृत भाषा में सिद्धान्त अन्यों को सूत्र रूप में लेखबद्ध किया जाने लगा। लेकिन गमकथा का प्राकृत भाषा में पउमचरिय के रूप में काव्यबर करने का श्रेय प्राचार्य विमल सूरी ने प्राप्त किया। पड़ मचरिय महाराष्ट्री प्राकृत का सुन्दरतम महाकाव्य है जिसकी रचना बीर निर्धारण संवत् ५३० में हुई थी । पूरा काव्य ११८ संधियों में विभक्त है । पंषवे याससया दुलमाए तीस बरस संजुत्ता । धीरे सिर मचाये तमो निबद्ध इमे चरियं । . तिलोयपण्णात्ति प्राकृत भाषा का महान ग्रंथ हैं इसमें २४ तीर्थकों नारायण, ६ प्रतिनारायण, ६ बलभद्र एवं १२ चक्रवतियों के जीवन के प्रमुख १. दिनेसचन्द्रसेन–६० बंगाली रामायण पृष्ठ ३, ७, २६.४१ प्रादि
SR No.090290
Book TitleMuni Sabhachand Evam Unka Padmapuran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year1984
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Mythology
File Size9 MB
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