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________________ ब्रह्मवाबार, मुलायमचन्द जी जैन जबलपुर, सिंघई शीलचन्द भी बैन सबसपुर, माणकचन्द जो वेताला महास, पंडिता विद्युल्लता की सहा सोलापुर, डा. जी जे. कासलीवाल सोलापुर, पंडिता गजा बहिन बाहुबली, माणकचव जयकुमार जी चंवरे शान्तिनाथ पाटील जयसिंगपुर, स्वस्ति श्री भट्टारक लक्ष्मीसेमनी कोल्हापुर, एम बाई मिरजी चिक्कोजी, स्वस्ति श्री देवेन्द्रकोति जी भद्वारा स्वामी जो तुम्मच, कपुरचन्द जी जन जोया गयपुर एवं विमल चन्द जो बैनाडा मागरा का हम हार्दिक स्वागत करते हैं। पाया है समाज का हमें और भी अधिक सहयोग प्राप्त होगा । सहयोग–अकादमी के सदस्य बनाने में राजस्थानी भाषा के कवि श्री राजमल जी बेगस्या, श्री माणकचन्दजी सा. कसेरा, डा. हरीन्द्र भूषण जी जैन बाहुबली, पं. मागि कचन्दजी चंवरे कारंजा प्रमुलालजी काला एवं उनकी श्रीमती स्नेहप्रभा जो से जो सहयोग मिला है उसके लिये हम उनके पूर्ण आभारी हैं । अमृत कलश में विद्वानों का स्वागत __ सप्तम भाग के प्रकाशन के पश्चात् अर्थात् अप्रेल १९८४ से सितम्बर ४ तक हमारे अमृत कलश में स्थित प्रकादमी कार्यालय में जिन विद्वानों ने पधार कर हमारे खोज शोध के कार्य को देखा तथा देखकर शुभकामनाएं एवं शुभार्थीकाद दिया उनमें रूपायन सस्था बख्दा के निदेशक श्री कोमल कोठारी, जंन वाड़मय के मनीषी डा. दरबारीलाल जी कोठिया, बम्बई के प्रसिद्ध लेखक एवं साहित्यकार डा. जगदीश जन, साह रिसर्च इन्स्टीट्यूट कोल्हापुर के निदेशक डा. दिलास संगवे, अकादमी के संरक्षक माननीय श्री डालचन्द जी सा. जैन सागर, कुचामन के श्री राजमल जी छाबड़ा श्रीचन्दजी जैन सोनगढ़, श्री नन्दलाल जैन दिवाकर एडवोकेट गंज बासोदा, भगवान दास जी जैन अध्यक्ष अखिल विश्व जैन मिशन गंज बासौदा, पं सत्यन्धर कुमार जी सेठी उज्जैन एवं थी निर्मल कुमार जी सेनानी विदिशा के नाम उल्लेखनीय है । हम अमृत कलश में पधारने के लिये सबके मामारी हैं। ८६७ अमृत कलश बरकत नगर, किसान मार्ग डा. कस्तूरचन्द कासलीवाल टोंक फाटक, जयपुर, निदेशक एवं प्रधान सम्पादक
SR No.090290
Book TitleMuni Sabhachand Evam Unka Padmapuran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year1984
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Mythology
File Size9 MB
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