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आवास:
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पगादी प्रमादाद्रागण । पडिटोमिदा याणा भवता प्रतिकुलवृत्तयो जाता। हिंदोबदेस करताणं । आज्ञां हितोपदेश मूलाराधनाकुचनाम् ।
मूलारा-मात्र मोक्षमा पारयिष्यामो युष्मान् ।।
अर्थ--हे प्रभो ' प्रमाद, रागभाव, अज्ञान इत्यादि विकारोंके आवेशमें आकर इमने आपकी आज्ञाका लोप किया होगा. आपके हितोपदेशके प्रतिकूल हमने प्रवृत्ति की होगी. इसलिये हे प्रभो ! हम आपके पास क्षमायाचना करते हैं.
-... -. -. - सहिदय सकण्णयाओ कदा सचक्खू य लध्दसिद्धिपहा ॥ तुझा वियोगेण पुणो णदिसाओ भविस्सामो ॥ ३७९ ।। लब्धसिद्धिपथा जाताः सचित्तोत्रचक्षुषः ॥ युष्मद्वियोगतो भूयो 'भविष्यामस्तथाषिधाः ॥ ३८६ ॥
पिजयोदया-सहिदय सकपणयामओ सहृदया: सकर्णकाच जाताः । कदा सबखू य कृताः सलोचनाः । लद्धसिद्धिपहा लब्धसिद्धिमार्गाः । तुम वियोगेण पुणो भवत्यो वियोगेन पुनः । णविसामो नष्टविकाः । भविस्सामो भविष्यामः॥
गुलागा कमाणयाशो मकर्णकाच । कदा कृता: युष्माभिरिति शेषः । तुझ भवद्भ्यः। गदिसाया नष्टदिका मार्गदर्शनररहना इत्यथैः ।
अर्थ- प्रभो। आपने को हृदययुक्त किया है. अर्थात आपके उपदेशसे हम हिताहितका विवेक करनम समर्थ होगय है. हमको कमांकी प्राप्ति हुई है. अर्थात् आपन हमको शास्त्र पढाये हैं. और हमको आपने शास्र रूप लोचन प्रदान किये हैं. हमको आपने मोक्षमार्गमें भी लगा दिया है परंतु आपका वियोग होनेसे हम पुनरपि दिङ्मूढ़ हो जायेंगे. हाय !
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