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________________ मूलाराधना आवासः उपसंपदा----आचार्यके चरणमृलमें गमन करना. पडिच्छा-गण, शुश्रषा करनवाल मुनि, ममाधिमरणाराधक, जन्साहशक्ति, आहारकी अभिलाषा, इत्यादिककी परीक्षा करना. पहिलहा - भागधना, अदि बिन उपस्थित हो तो आराधनाकी सिद्धि नहीं होती है. अतः उसकी निविनताके लिये राज्य दश, गांव, नगर वगैरहका शुभ होगा या अशुभ होगा इसका अवलोकना करना. । आपच्छा य पडिन्छणमेगस्सालोयणा य गणदासा ॥ सेज्जा संथारो वि य णिजवग पयासणा हाणी।। ६९ विजयोदया-आपुच्छा प्रतिप्रश्नः । किमयमस्माभिरनुगृहीतव्यो म यति संघप्रश्नः । पहिच्यणमेगस प्रति चारफैरभ्यनुमानस्यैकस्य संग्रह आराधकस्य । आलोयणाय स्वापराधनिवेदने गुरुगाामालोचना । गुणदोला तस्या गुणा दोपाः । सज्जा शच्या बसतिरित्यर्थः । भाराधकापासगृहमिति यावत् । संधारो बिय संस्तरश । णिजागा नियों TET: PITriPE समाधिशहाशा गालणा चरमोहारप्रकाशनम् । हाणी कमाणाहारज्यागः हानिः । मूलारा-- आपुच्छा किमयमस्माभिरनुगृहीतव्यो न वेति संथ प्रसि प्रश्नः ! परिच्छमियरस संघानु गते कम्य क्षपफम्म स्वीकारः । आलोयणा गुरोः स्त्रयोषनिषेवन । गुणदोसा गुणा दोपय प्रत्यासनेरालोचनाया एव । सेम्जा शग्या वसतिरित्यः । सथारो संम्तरः । पिज्जनग निर्यापकाः आराधकस्य समाधिसहायाः : पयालणाचरणं आहारप्रकटनं । हाणी कमेणाहारत्यागः । हिंदी अर्थ-आपुच्छा, पडिन्छण, आलोयाणा, गुणदोस, मेज्जा. संथार णिजबग, पपासणा व हानि ऐसे दस सूत्र भक्तप्रत्याख्यानके उपयोगी है. आपुच्छा-यह आराधक भक्तपत्याग्यान करने के लिये आया है इसके उपर अनुग्रह करना योग्य है या नहीं है एमा संघका प्रश्न करना अर्थात् उनकी अनुज्ञा प्राप्त करना. पहिच्छण-प्रणिचारक मुनिओकी म्बीकारना मिलने पर एक आराधकका ग्रहण करना. आलोयण-गुरूके आगे अपने पूर्वापराध कहना. गुण दोसा-आलोचनाके गुण और दोपाका वर्णन करना. सेजा समाधिमरण साधने के लिये आराधककी योग्य वसतिका-निवास स्थान, मधार-संस्तर-अर्थात् आराधकके लिये आगमोक्त शय्या. णिञ्जवग-आराधकको समाधिमरण साधने में सहायता करनेवाले आचार्यादिक, १९७
SR No.090289
Book TitleMularadhna
Original Sutra AuthorShivkoti Acharya
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1890
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ethics, Philosophy, & Religion
File Size48 MB
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