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________________ मूलाराधना १६९८ मुलाराम घरं गृहः || मूलारा स्पष्टम् ॥. मूलारा - बलवाणडुओ राओ सैन्येन हस्त्यादिवाहनेन च समृद्धो नृपः 11 मूढारा - तिर्गिच्छिदे चिकित्सायां ॥ मूलारा स्पष्टम् । अर्थ -- जैसे हवासे गर्भगृह बचाता है वैसे कायरूपी हवासे ध्यान मुनिको गर्भगृह के समान बचाता है. सूर्यके संतापसे छाया प्राणिओंका रक्षण करती है वैसे ध्यान कायरूपी संतापसे आत्माको बचाता है. जैसे अग्नतापसे पानीका द्रह पुरुषोंका बचाता है जैसे कपायान्नकि संतापसे ध्यानरूपी ग्रह मुनिओंका रक्षण करता हैं. जैसे जाडेसे होनेवाली पीडा अग्नि दूर करता है वैसे कषायरूपी जाडेसे होनेवाली संपीडा ध्यानानि क्षण भरमें नष्ट कर देता है. जैसे सैन्यसे अर्थात् हाथ, रथ, घोडे वगैरह सेनासे परिपूर्ण राजा परचक्र के मंयसे प्रजाकी रक्षा करता है वैसे कषायरूपपरचकसे होनेवाली पीडा ध्यानरूपी राजा क्षणमें दूर करता है अर्थ - जैसे रोगकी परीक्षा करनेमें कुशल वैद्य रोग दूर कर मनुष्यको सुखी करता है, जैसे ध्यानभी वैद्यके समान कषायरूपरोगकी परीक्षाकर उसको नष्ट करता है. जैसे अनसे भूक नष्ट होती है वैसे विषयधामी ध्यानरूपी अमसे दूर होती है, जैसे पानीसे प्यास बुझती है वैसे ध्यानरूपी पानसे विषयरूपी प्यास शांत होती है. इय झायंतो खवओ जइया परिहीणवायिओ होइ ॥ आराधनाए तझ्या इमाणि लिंगाणि दंसेई || १९०३ ॥ आराधनावयोधार्थं योगी व्यावृत्तिकारणम् || तदा करोति चिन्हानि निश्रेष्ठो जायते यदा || १९६४ || विजयोदयाय सायंतो खबभ एवं ध्यानेन प्रवर्तमानः क्षपकः । यदा वक्तुमसमर्थो भवति तदा आराधणाए रत्नत्रयपरितेरात्मनो लिंगानीमानि दर्शयति ॥ ध्यानपरिणतस्य शासनमरणस्य बामाशे प्रकाश्यान्याराधना चिह्नान्याह - मूलारा--परिहीणवाचिओ वक्तुमशकः । आश्वासन ७ १६९८
SR No.090289
Book TitleMularadhna
Original Sutra AuthorShivkoti Acharya
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1890
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ethics, Philosophy, & Religion
File Size48 MB
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